Gorakhpur : विश्व प्रसिद्ध प्रकाशन संस्था गीता प्रेस के ट्रस्टी बोर्ड ने फैसला लिया है कि वह प्रतिष्ठित ‘गांधी शांति पुरस्कार’ लेगा, पर एक करोड़ की दान राशि स्वीकार नहीं करेगा. गीता प्रेस की ओर से सोमवार को कहा गया कि पुरस्कार मिलना सम्मान की बात है, लेकिन किसी प्रकार का दान स्वीकार नहीं करने के अपने सिद्धांत के अनुरूप प्रकाशन संस्था एक करोड़ रुपये की नकद पुरस्कार राशि को स्वीकार नहीं करेगी. बता दें कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गीता प्रेस, गोरखपुर को अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने का फैसला किया है.
केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया
न्यास बोर्ड के अध्यक्ष केशव राम जी अग्रवाल, महासचिव विष्णु प्रसाद चंदगोटिया और न्यासी देवी दयाल प्रेस का प्रबंधन देखते हैं. रविवार देर रात यहां गीता प्रेस के ट्रस्टी बोर्ड की बैठक में प्रकाशन संस्था ने गांधी शांति पुरस्कार के लिए चयनित होने पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया. गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि त्रिपाठी ने सोमवार को कहा, हम केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गांधी शांति पुरस्कार प्रदान करने के लिए धन्यवाद देते हैं. यह हमारे लिए बहुत सम्मान की बात है. किसी भी प्रकार का दान स्वीकार नहीं करना हमारा सिद्धांत है, इसलिए न्यास बोर्ड ने निर्णय लिया है कि हम निश्चित रूप से पुरस्कार के सम्मान के लिए पुरस्कार स्वीकार करेंगे, लेकिन इसके साथ मिलने वाली धनराशि नहीं लेंगे.
93 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है
इससे पहले वर्ष 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार मिलने की खबर मिलते ही गोरखपुर और गीता प्रेस में खुशी की लहर दौड़ गई. हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुस्तकों का दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाशक गीता प्रेस है. इसकी स्थापना वर्ष 1923 में सनातन धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए जयदयाल गोयनका और घनश्याम दास जालान ने की थी. त्रिपाठी ने कहा कि प्रेस की स्थापना वैशाख शुक्ल त्रयोदशी के दिन 29 अप्रैल 1923 को हुई थी. प्रेस अब तक 93 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है. प्रेस का समस्त प्रकाशन कार्य गोरखपुर में होता है. 15 भाषाओं और 1,800 प्रकार की पुस्तकें प्रकाशित करती है. वर्ष 2022-23 में पाठकों को दो करोड़ 40 लाख पुस्तकें उपलब्ध कराई गईं.
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