Jamshedpur : डॉन अखिलेश सिंह को जमशेदपुर की निचली अदालत से एक मामले में बड़ी राहत मिली है. वर्ष 2009 में घाघीडीह सेंट्रल जेल में हुए परमजीत सिंह मर्डर केस में जमशेदपुर की निचली अदालत ने अपना फैसला सुनाया है. जमशेदपुर के अपर न्याययुक्त प्रभाकर सिंह की कोर्ट ने अपराधी परमजीत सिंह की हत्या के आरोपी अखिलेश सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है.
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हत्या की साजिश रचने का सबूत नहीं जुटा पायी पुलिस
जानकारी के मुताबिक हत्याकांड के बाद परसुडीह थाना में वर्ष 2009 में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. प्राथमिकी दर्ज कराने वाले सूचक के अपने गवाह से मुकर जाने के कारण और पुलिस द्वारा अदालत में पर्याप्त साक्ष्य जमा नहीं करने के कारण अदालत ने अखिलेश सिंह को इस हत्याकांड से बरी कर दिया है. करीब 10 वर्षों तक चले ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष अखिलेश सिंह के खिलाफ हत्या की साजिश रचने के आरोप से जुड़ा कोई ठोस साक्ष्य अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाया. जिस वक़्त परमजीत सिंह की हत्या हुई थी, उस समय अखिलेश सिंह फरार था.
घाघीडीह सेंट्रल जेल में हुई थी अपराधी परमजीत की हत्या
घाघीडीह सेंट्रल जेल में 20 मार्च 2009 को वर्चस्व की लड़ाई में अपराधी परमजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. हत्या के प्रतिशोध में परमजीत सिंह गैंग के समर्थकों ने जेल में बंद अखिलेश सिंह गिरोह के गौतम सिंह की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. परमजीत सिंह की हत्या मामले के बाद बर्मामाइंस ईस्ट प्लांट बस्ती निवासी हरपाल सिंह हीरे की शिकायत पर अखिलेश सिंह, मनोज सिंह उर्फ भोला सिंह, मनोरंजन सिंह उर्फ लल्लू सिंह समेत अन्य के खिलाफ परसुडीह थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
इससे पहले परमजीत सिंह हत्याकांड में एडीजे-13 प्रभाकर सिंह की अदालत में 3 मार्च को मंगलवार को बहस हुई थी. सभी गवाहों और जांच रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर सरकारी अधिवक्ता और अखिलेश सिंह के अधिवक्ता विद्या सिंह के बीच बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 12 मार्च को फैसला सुनाने की तिथि तय की थी.
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