कई महीनो से पैसे के अभाव में इलाज से वंचित, आंसू बहाने पर विवश
Garhwa: रंका प्रखंड के डाले गांव निवासी रमण कोरबा का पुत्र अनूप लाल कोरबा, उम्र- 45 वर्ष विगत दो वर्षों से मृत्यु शैया पर पड़ा हुआ है. वो इलाज के लिए तरस रहा है. कोई भी व्यक्ति यदि उसके दरवाजे पर पहुंच जाए तो अपनी बेबसी पर वह आंसू बहा कर जोर-जोर से रोने लगे लेकिन न प्रशासन सुध नहीं ले रहा, ना ही कोई स्वयंसेवी संगठन. उसे वैसे देवदूत का इंतजार है जो उसका इलाज करा सके. लाचार पत्नी कुंती देवी कहती है कि रंका के आसपास के सामाजिक कार्यकर्ताओं से कई दफा हमने आग्रह किया कि मेरे पति के इलाज में मदद करें लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता का ढोग करने वाले लोगों ने आज तक इस गरीब जनजाति की सहायता नहीं की.
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कोई नहीं कर रहा मदद : कुंती देवी
इस बाबत पीड़ित अनूप लाल कोरबा की पत्नी कहती है कि पति के इलाज में दो गाय और लगभग 10 बकरियों को बेच दिया. फिर भी पति का रोग ठीक नहीं हो पाया. मेरे दो बेटी और दो बेटा है. दो बेटा और एक बेटी ईट भट्ठा पर काम करने के लिए गए हैं ताकि अपने पिता का इलाज करा सके. इस पंचायत की मुखिया से भी पति के इलाज के लिए गुहार लगाई लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है. इस संबंध में ‘शुभम संदेश’ के संवाददाता को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली तो सहिया अनिता देवी की मदद से उसके दरवाजे पर जाकर वस्तु स्थिति का जायजा लिया. सारी वस्तु स्थिति से प्रखंड विकास पदाधिकारी देवानंद राम को बतलाया. प्रखंड विकास पदाधिकारी देवानंद राम ने पीड़ित व्यक्ति को हर संभव मदद करने के लिए आश्वासन दिया है. अब देखना है कि इस आदिम जनजाति को मुसीबत के क्षणों से कौन मदद का हाथ बंटाता है.
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