जर्मनी में हाल में निष्फल किया गया तख्तापलट का प्रयास कितना गंभीर था, इस पर जर्मनी में विश्लेषण जारी है. यह इस बात का जीता जागता सबूत है कि इतिहास अपने आपको दुहराता है और हमारी मानव प्रजाति इस दुहराव से बचने में सबसे कमजोर साबित हुई है. इस तख्तापलट का प्रयास वैसे लोगों ने किया, जो अखंड जर्मनी की अवधारणा को मानते हैं कि जर्मनी जितना 1936 में विस्तृत था, उसे अब भी वैसा ही विस्तृत होना चाहिए. यानि उन्हें हिटलर का जर्मनी चाहिए, जो बेल्जियम, उत्तरी फ्रांस और स्लोवीनिया, लक्जमबर्ग और वेलोनिया तक फैला हो. ऐसी सोच रखने वालों को दो बातें चुभती हैं, एक तो वे मानते हैं कि जर्मनी की छवि शायद उतनी कुलीन नहीं रही, जितनी हिटलर ने स्थापित की थी. दूसरे उनका मानना है कि जर्मनी के शासन तंत्र पर अब उन लोगों का कब्जा हो गया है, जिन्होंने कभी जर्मनी के विरोध में लड़ा था. 1923 के इतिहास के पन्ने इस बात की गवाही देते हैं कि हिटलर ने भी तब तख्तापलट का विफल प्रयास किया था. 1924 में हिटलर को पांच महीने के लिए ही जेल में रखा जा सका. बाहर आकर मुसोलिनी से प्रभावित हिटलर ने वह सब कुछ किया, जिसे दुनिया मानवता पर एक बदनुमा धब्बा मानती है. पर 1933 में हिटलर जर्मनी का चांसलर हो ही गया, उस समय के शासन को थर्ड राइक कहते हैं. उस समय जर्मनी का सबसे अधिक विस्तार हुआ. हिटलर ने आस-पास क्षेत्रों पर कब्जा करते समय जबरन जनमत संग्रह कराया, इसमें यहूदियों और जिप्सियों को दरकिनार कर दिया गया और क्षेत्रों को जबरन जर्मनी में मिला लिया. जर्मनी कई कारणों से अपने ही अंतरविरोधों से जूझ रहा है. पिछले पांच सालों में वहां सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब हिटलर की मीन काम्फ रही है.
जर्मनी में तख्तापलट की कोशिश नाकाम, एक जज सहित हिरासत में लिए गए प्रिंस 11
ऐसा जर्मनी में किन लोगों ने किया, वे क्या ऐसा करने में सक्षम हैं और आखिर ये कौन लोग हैं? ये लोग अपने को राइसबर्गर यानि राइस के नागरिक यानि मोटे तौर पर जर्मनी का नागरिक कहते हैं, पर उस जर्मनी का जिसकी परिकल्पना वे लोग करते हैं. यह नागरिकों का एक समूह है, जो ऊपर बतायी गयी विचारधारा से प्रभावित हैं. उनका मानना है कि महान हिटलर ने जिस गुंडागर्दी के बल पर शासन हासिल किया, वही रास्ता सही था. ये सभी 73 वर्षीय प्रिंस राइस या हेनरिक तेरहवें को जर्मनी के शासक के रूप बिठाना चाहते हैं. इन नागरिकों ने गुप्त बैठकें कर “डे एक्स” की तैयारी में महीनों बिताए और पिछले सप्ताह बुधवार 7 दिसंबर को इसे अंजाम देने वाले थे. इसके पहले जर्मन पुलिस ने व्यापक छापेमारी कर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. इसकी गंभीरता ने पुलिस के हाथ पांव फुला दिए. इसमें वर्तमान जर्मन समाज के हर तबके के लोग शामिल हैं. इनके लोग प्रशासन में हैं, राजनीति में हैं और सैन्य संगठनों में हैं. एक पूर्व महिला सांसद जो वर्तमान में जज हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है. इन लोगों का समर्थन धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डायचलैंड पार्टी या (एएफडी) को है . इसके साथ ही 73 वर्षीय उन प्रिंस हेनरिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जो स्वघोषित प्रिंस हैं और चरमपंथी उन्हें जर्मनी का चांसलर बनाना चाहते हैं.
736 सीटों वाली जर्मन बंडस्टैग या संसद में एएफडी के 79 सदस्य हैं. हाल के वर्षों में राइसबर्गर की बढ़ती संख्या ने जर्मन सुरक्षा अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है. जून 2022 की रिपोर्ट में घरेलू खुफिया सेवा ने अनुमान लगाया था कि लगभग 21,000 लोग इस अभियान से जुड़े हुए हैं, जो जर्मनी के 11 राज्यों में फैले हुए हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये लोग बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दे सकते हैं. इनमें से करीब 500 लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं.
बीते सप्ताह बुधवार की सुबह पूरे देश में 11 राज्य के 130 ठिकानों पर छापेमारी कर पुलिस ने इस मामले से जुड़े कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया है. जर्मनी की सैन्य इकाई स्पेशल फोर्स यूनिट (केएसके) के दक्षिण-पश्चिम हिस्से के तीन बैरकों के सैनिक इसमें शामिल थे. केएसके के एक सैनिक के घर से हथियारों की बड़ी खेप जब्त की गयी. योजना पूरी तरह हिंसक थी. शुरू की जांच में पता चला कि 6 जनवरी 2021 को जैसा हमला अमेरिका के वाशिंग्टन डीसी पर किया गया था, वैसा ही हमला जर्मनी की संसद पर करने की योजना थी. XIII दिसंबर के अंक में अमेरिकी अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने जांच कर रहे सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि योजना जर्मन चांसलर ओलाफ शुल्ज को मौत के घाट उतार देने की थी. जर्मनी की संसद भी मामले गंभीरता को देखते हुए जांच कर रही है.
क्या रूस की कोई भूमिका थी?
अब एक लाख टके का सवाल जो जर्मनी में घूम रहा है, क्या इस तख्तापलट में रूस की कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका थी? रूस ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है. पर जर्मन जांच टीम को ऐसे संकेत मिले हैं कि प्रिंस ने रूसी राजनयिकों से सहायता की गुहार लगायी थी. एक रूसी महिला की गिरफ्तारी की भी खबर है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इसे जर्मनी का आंतरिक मामला बताया.