Ghatshila (Rajesh Chaubey) : घाटशिला प्रखंड में सरकारी योजना के नाम लूट मची है. घाटशिला प्रखंड की कालचित्ति पंचायत अर्न्तगत बांधडीह गांव में वित्तीय वर्ष 2011-12 में जिला परिषद के फंड से लगभग 60 लाख की लागत से पुल का निमार्ण किया गया था. इसका उद्देश्य बांधडीह गांव को बड़ाजुड़ी से जोड़ना था. क्योंकि पुलिया व सड़क के अभाव में बांधडीह से बड़ाजुड़ी जाने के लिए लगभग 8 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. पुल बनने से दो किलोमीटर ही दूरी होती. लेकिन बिना जांच पड़ताल किए ही पुलिया का बांधडीह गांव के अंतिम सीमाना पर किया गया.
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आनन फानन में पुल बना दिया
इस दौरान यह जांच नही की गई कि पुल निमार्ण के बाद जो बड़ाजुड़ी जाने वाला रास्ता होगा, वह जमीन सरकारी होगी या रैयती. आनन फानन में पुल बना दिया गया और पुल के आगे का जो रास्ता था, वहा ठेकेदार जब बनाने गये तो पता चला की जमीन रैयती है और रैयती जमीन देने को जमीन वाले तैयार नही हुए. इसके कारण पुल बनने के बाद भी रास्ता नहीं बना . पुल बनने के 11 साल बाद भी खेत में शोभा की वस्तु बनी है. इस बिच सभी राशि का भी निकासी ठेकेदार ने कर लिया.
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कोई आंदोलन नहीं हुआ
सबसे आश्चर्य कि बात यह है कि इसके बाद इसको लेकर न ही कोई आंदोलन हुआ नहीं किसी प्रकार की जांच ही हुई. इसको लेकर ग्रामीण शैलेन मन्ना, मुचीराम भूमिज, गोवर्धन सिंह समेत अन्य लोगों का कहना है कि बिना सोचे समझे इस तरह से पैसे की बर्बादी की गई, इसमें विभाग के साथ ठेकेदार पर भी कारवाई होनी चाहिए. क्योंकि सब जांच पड़ताल के बाद ही पुल का निमार्ण होना चाहिए था. इस संबंध में विधायक रामदास सोरेन से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह जांच का विषय है. हालांकि जिला परिषद विभाग उन्हीं के पास है वे निश्चित रूप से इस मामले की जांच कराएंगे.