Ghatshila (Rajesh Chowbey) : हुलगरिया के कीताडीह मैदान में माझी परगना महाल के देश विचार सचिव बहादुर सोरेन की अध्यक्षता में शनिवार को ग्राम प्रधान, माझी बाबा, गोडेत, एवं नायके की बैठक आयोजित की गई. बैठक में स्थानीय नीति पर चर्चा की गई. झारखंड अलग राज्य बने 22 साल पूरे होने के बाद भी स्थानीय नीति परिभाषित नहीं हो पाई है. इससे आदिवासी, मूलवासी एवं खतियानधारी अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. इसके अलावा ग्राम सभा को भी अब तक पूर्ण मान्यता नहीं मिली है. इसके कारण कहीं भी किसी प्रकार का बिना ग्राम सभा के ही काम हो रहा है. समाज के लोगों ने एक स्वर में कहा कि सभी स्कूलों में ओलचिकी लिपि की पढ़ाई शुरू की जाए अन्यथा 30 जून को हूल दिवस के अवसर पर धरना प्रदर्शन के माध्यम से विरोध प्रकट करते हुए अनुमंडल पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
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गोडेत एवं नायके को भी मानदेय शुरू किया जाए
बहादुर सोरेन ने कहा कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनने से किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से ग्राम प्रधान को राज्य सरकार मानदेय दे रही है उसी प्रकार माझी बाबा, गोडेत एवं नायके को भी मानदेय शुरू किया जाए. इसके अलावा अन्य सामाजिक, पारंपरिक व्यवस्था को लेकर चर्चा की गई. बैठक में मुख्य रूप से संतोष कुमार माझी, काली राम सोरेन, बायला मांडी, माधव मुंडा, सुकलाल मुर्मू, सुधीर सोरेन, राजेंद्र प्रसाद टूडू, दूला मुर्मू, मानसिंह हेंब्रम, तपन कुमार मानकी, सुनील माझी, सहित अन्य उपस्थित थे.