Ghatshila (Rajesh Chowbey) : चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की शुरुआत शुक्रवार को नहाय खाय के साथ हो गई है. छठ व्रतधारी महिलाएं एवं पुरुषों ने नदी व तालाब में स्नान कर भगवान सूर्य की आराधना की. कई महिलाओं ने गोपालपुर स्थित स्वर्णरेखा नदी में स्नान कर चिंताहरण सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना कर नहाए खाए की विधि को पूरा किया. पवित्र जल से व्रतियों ने घर पर अरवा चावल की भात, शुद्ध देसी घी से बने चने की दाल एवं लौकी की सब्जी प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया. तत्पश्चात अपने मित्र-कुटुंब के साथ परिवार वालों ने भी प्रसाद ग्रहण किया. शनिवार को खरना पूजन किया जाएगा, इसकी तैयारी में व्रती अभी से जुट गई है.
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चार दिनों का होता है छठ पर्व
छठ पर्व का प्रारंभ ‘नहाय-खाय’ से प्रारंभ होता है. नहाय-खाय के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी के दिनभर व्रती उपवास कर शाम को स्नान कर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर भगवान भास्कर की आराधना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं.. इस पूजा को ‘खरना’ कहा जाता है. इसके अगले दिन उपवास रखकर शाम को व्रती बांस से बना दउरा या सुप में ठेकुआ, मौसमी फल, ईख समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब या अन्य जलाशयों में जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. चौथे दिन व्रती सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर वापस लौटकर अन्न-जल ग्रहण कर ‘पारण’ करते हैं, यानी व्रत तोड़ते हैं.
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