Giriidh : गिरिडीह (Giridih)– गिरिडीह जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव कुछ दिनों बाद होंगे. इसे लेकर कशमकश जारी है. सबके अपने-अपने दावे हैं. विजय का सेहरा किसके सिर बंधेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है. रांची से लेकर दिल्ली तक जिलाध्यक्ष पद की हसरत पाले नेता भाग दौड़ कर रहे हैं, एक दशक पूर्व तक जिलाध्यक्ष पद का चुनाव होता था. विजेता प्रत्याशी को अध्यक्ष पद की कुर्सी मिलती थी. इधर इस नियम में बदलाव किया गया है. जिलाध्यक्ष पद के लिए मनोनयन की परंपरा शुरू हुई है. जिलाध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है. वर्तमान जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा दो बार जिलाध्यक्ष मनोनीत किए गए.
वैसे इस बार जिलाध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा या फिर मनोनयन होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है. मनोनयन परंपरा शुरू होने से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को नुकसान पहुंचा है. जमीनी कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष नहीं बन पाते. जोड़-तोड़ और लॉबिंग करने में माहिर कांग्रेसी जिलाध्यक्ष बन जाते हैं. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिलाध्यक्ष के अलावा दो कार्यकारी जिलाध्यक्ष भी बनाए जाएंगे.
कौन-कौन हैं ताक में, कितनी है ताकत
वर्तमान जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा के अलावा अजय कुमार सिन्हा, नवीन चौरसिया और धनंजय सिंह के नाम की चर्चा है. सबकी अपनी-अपनी पहुंच है. किसी की पहुंच प्रदेश अध्यक्ष, दलीय मंत्री व विधायक के पास है तो किसी की दिल्ली दरबार में. जिलाध्यक्ष पद के एक दावेदार पर विधायक की कृपा है. हालांकि वे विधायक इस समय कांग्रेस छोड़कर दूसरे दल में हैं. फिर भी कांग्रेस से पुरानी यारी के कारण संगठन में उनकी पकड़ है. कांग्रेस के वर्तमान प्रदेश नेतृत्व उन्हें कितनी तवज्जो देंगे, यह भी मायने रखेगा.
नरेश वर्मा को दो बार जिलाध्यक्ष पद की कुर्सी नसीब हुई. वैसे उनकी कोई खास उपलब्धि नहीं रही. वर्मा के कार्यकाल में विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा. उनके राजनीतिक आका अब दूसरे दल में शामिल हो गए हैं, इसलिए उनकी दावेदारी कमजोर दिख रही है.
अजय सिन्हा की पहुंच एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक दबंग कांग्रेसी विधायक तक है. वहीं धनंजय सिंह एक चतुर नेता के पुत्र हैं. उनके पिता को बाजी पलटने में महारत हासिल है.
कयास लगाए जा रहे हैं कि इन्हीं तीन-चार दावेदारों में से किसी एक के नाम की घोषणा की जाएगी. वैसे कांग्रेस में चौंकाने की परंपरा भी रही है. हो सकता है किसी दूसरे को जिलाध्यक्ष पद की कमान सौंप दी जाए. इस संबंध में नरेश वर्मा ने कहा कि पार्टी आलाकमान की जो मर्जी होगी वही होगा.
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