Giridih : जिले के जमुआ प्रखंड के खरगडीहा स्थित लंगटा बाबा की समाधि पर चादरपोशी करने के लिए अहले सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. लंगटा बाबा की समाधि इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द की मिशाल हैं. उनकी समाधि पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समुदाय के लोग चादर चढ़ाते हैं और अमन-दुआ की कामना करते हैं. पौष मास की पूर्णिमा के दिन बाब की समाधि का दर्शन करने श्रद्धालु दूर-दराज से आते हैं.
पौष मास की पूर्णिमा के दिन समाधि का दर्शन करते हैं श्रद्धालु
बाबा की समाधि के बारे में जनश्रुति है कि 1970 के दशक में नागा साधुओं का एक दल खरगडीहा के रास्ते देवघर जा रहा था. नागा साधु रात्रि विश्राम के लिए यहां रुके. सुबह के समय सभी साधु चले गए, सिर्फ एक साधु धूनी रमाए बैठे रहे. उस वक्त देश में अंग्रेजों का शासन था. लंगटा बाबा को ब्रिटिश हुकूमत का भी भय नहीं था. वे अंग्रेजों के खिलाफ बेबाक बोलते थे.
उस जमाने में खरगडीहा में एक थाना प्रभारी थे. थानेदार के घर में आग लग गई. लंगटा बाबा ने थाना परिसर में लघुशंका कर उनके घर की आग बुझा दी. चमत्कार के कारण लंगटा बाबा की ख्याति इस इलाके में फैल गई. वर्ष 1910 में उन्होंने समाधि ली. उनका समाधि स्थल आज-तक कायम है. समाजसेवी सुरंजन सिंह ने बताया कि बाबा के समाधि स्थल पर सबसे पहले जमुआ के थाना प्रभारी प्रदीप कुमार दास ने चादरपोशी की. इसके बाद से श्रद्धालुओं का तांता लगा है.
यह भी पढ़ें : गिरिडीह : विधायक ने कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में मॉडल भवन का किया शिलान्यास