Giridih : भले ही 1 जुलाई से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, पर गिरिडीह में यह प्रतिबंध अब तक कागजों में ही सीमित है. फुटकर सहित गल्ला व्यवसायी ग्राहकों को सब्जी से लेकर अन्य दैनिक उपयोगी सामान देने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पॉलीथिन का उपयोग कर रहे हैं. व्यापारियों का तर्क है कि लोग थैला ही नहीं लाते. पुराना स्टॉक बचा है, इसलिए इसका उपयोग किया जा रहा है. रोक के आदेश के 6 माह बीतने को हैं. यह स्थिति तब है जब गिरिडीह शहर में ही करीब 80 टन कचरा हर माह निकल रहा है. इसमें आधे के करीब सिंगल यूज प्लास्टिक होता है.
पॉलिथीन से जाम रहती है नालियां
सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण शहर की नालियां जाम रहती है. शहर में कोई भी गली नहीं मिलेगी जिसमें यह भरा पड़ा ना हो. पर्यावरण प्रदूषण के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक घातक है. विदित हो कि नगर निगम क्षेत्र में उप नगर आयुक्त को सिंगल यूज प्लास्टिक पर कार्रवाई करनी है, पर छापेमारी के लिए बनी टीम भी इस दिशा में कारगर साबित नहीं हो रही है.
सख़्त सजा का है प्रावधान, फिर भी लोग बेपरवाह
प्रतिबंधित उत्पादों के इस्तेमाल करने पर 500 से 2000 रूपये तक जुर्माना का प्रावधान है. औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पादन, आयात, भंडारण और बिक्री करने वालों पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के तहत 20 हज़ार से लेकर 1 लाख रूपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर 5 साल की जेल. दोनों सजाएं साथ भी दी जा सकती है. सख्त कानून के बावजूद सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग बता रहा है कि लोगों को कानून की की परवाह ही नहीं.
सख्त कानून से ज्यादा जरूरी है जागरूकता – प्रभारी महापौर
गिरिडीह नगर निगम के प्रभारी महापौर प्रकाश राम ने कहा कि छापेमारी अभियान लगातार चलाया जा रहा है. चेतावनी, सीज, फाइन सभी का इस्तेमाल किया जा रहा है. कहा कि जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे इस पर रोक मुश्किल है.
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