Abhay Verma
Giridih : गिरिडीह सदर अस्पताल परिसर में बने दुकानों का किराया वसूली और भुगतान को लेकर स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के बीच कागजी जंग जारी है. विदित हो कि 1997 में अस्पताल परिसर में 9 दुकानों का निर्माण किया गया. तब स्वास्थ्य विभाग और निगम के बीच करार हुआ कि किराया का दस प्रतिशत निगम अपने पास रखकर बाकी के किराया की पूरी रकम सदर अस्पताल के खाते में ज़मा करेगा. लेकिन लंबे अरसे तक ना ही अस्पताल प्रबंधन को इसकी सुध रही और ना ही निगम को राशि जमा करने की फिक्र हुई. जानकारी के अनुसार यह रकम 15 लाख से अधिक है.
17 साल बाद खुली अस्पताल प्रबंधन की नींद
मामले में पहली बार अस्पताल प्रबंधन की नींद जून 2014 में खुली जब निगम को पत्र लिखकर किराये के रकम की मांग की गई. सिविल सर्जन की मानें तो इस बीच कई बार पत्राचार किया गया. लेकिन अब तक निगम ने ना भुगतान किया और ना ही की ठोस जवाब दिया. सिविल सर्जन के तौर पर डॉ.एसपी मिश्रा के पदभार संभालने के बाद निगम पर किराया जमा करने का लेकर दबाव बढ़ाया जाने लगा.
निगम के रवैये से अस्पताल उपाधीक्षक ख़फ़ा
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.उपेंद्र दास ने बताया कि किराया का दबाव बढ़ने के बाद निगम के अधीन शहर में सफाई का काम देख रहे कंपनी के सुपरवाइजर ने अस्पताल प्रबंधन को एक लाख का बिल थमा दिया. कहा गया कि समय-समय पर सदर अस्पताल से कचरे का उठाव किया गया है. उपाधीक्षक ने कहा कि सदर अस्पताल परिसर में साफ सफाई का काम देख रहे सुपरवाइजर गौरव ने निगम को हर बार भुगतान किया है. वहीं उन्होंने सवाल किया है कि परिसर में सफाई की गई तो क्या अस्पताल प्रबंधक से कोई सहमति ली गई.
उप महापौर ने कहा, निगम करेगा भुगतान
नगर निगम के उप महापौर प्रकाश राम ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन का जो भी रकम बकाया है उसे नियम संगत वापस किया जाएगा. मामले में कहीं कोई विवाद नहीं है. निगम नियमों का पालन करते हुए बकाये राशि का भुगतान करेगा.
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