Giridih : जिला मत्स्य विभाग ने गिरिडीह को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई है. इसके लिए खंडोली डैम में 125 और पंचखेरो डैम में 75 केज का निर्माण किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 40 प्रतिशत अनुदान पर केज का निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा. प्रत्येक केज में करीब तीन लाख रुपये की लागत आएगी. 60 प्रतिशत राशि लाभुक को व्यय करना पड़ेगा.
खंडोली और पंचखोरो डैम के लिए 40 लाभुक समिति का चयन किया गया है. एक केज में पांच से आठ हजार मत्स्य पालन किया जा सकता है. इस समय गिरिडीह जिले में 7800 मिट्रिक टन मछली पालन किया जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में 15,600 मिट्रिक टन मछली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिले के सभी 13 प्रखंडों में 565 सरकारी तालाब हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब 60 प्रतिशत सरकारी तालाबों में सालों भर पानी जमा रहता है. ऐसे तालाबों को मत्स्य विभाग चिन्हित कर मछली का जीरा (स्पॉन) डालेगा.
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए जिले के बेंगाबाद प्रखंड के नगरी गांव में करीब 25 लाख की लागत से हेचरी का निर्माण करवाया जा रहा है. इसके निर्माण होने पर नगरी में ही मत्स्य जीरा तैयार होगा. इसके निर्माण में खर्च हो रही 25 लाख रुपये की राशि में से सरकार 40 प्रतिशत अनुदान देगी और शेष 60 प्रतिशत राशि लाभुक स्वयं वहन करेंगे.
नगरी में ही मछली के भोजन के लिए फीड मिल का निर्माण तीस लाख रुपये की लागत से किया जाएगा. जिला मत्स्य पदाधिकारी उषा रानी ने बताया कि डैम और सरकारी तालाब के अलावा निजी तालाबों में भी मछली पालन किया जाएगा. पहले लाभुक पश्चिम बंगाल से मत्स्य जीरा लाते थे, अब गिरिडीह में ही जीरा मिलेगा. इससे उनकी आय में वृद्धि होगी. उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में लक्ष्य से ज्यादा मछली पालन किया जाएगा.
यह भी पढ़ें : गिरिडीह: बेंगाबाद के अस्पताल में डेंटल सेवा चालू करने पर सहमति