Giridih : जमुआ प्रखंड के नायकडीह दुर्गा मंदिर में विगत 43 वर्षों से दुर्गा पूजा हो रही है. यहां मां दुर्गा का दर्शन करने खाड़ीडीह, नायकडीह, धुरैता, बलैडीह, महेशरायडीह, नीमाडीह, कटरियाटांड़, पचडीहा, नईटांड़ समेत अन्य जगहों के श्रद्धालु आते हैं. जमुआ-कोडरमा मुख्य मार्ग के बगल में स्थित होने के चलते यहां भीड़ कुछ ज्यादा ही होती है. कलशस्थापन के साथ ही विधि विधान से पूजा शुरू होती है. भव्य प्रतिमा का निर्माण किया जाता है. तीन दिनों तक मेला लगता है. स्थानीय मुखिया प्रदीप सिंह ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1979 में हुई थी. स्थापना काल से लेकर वर्ष 2021 तक पंडित विनोद उपाध्याय पूजा कराते रहे. इस वर्ष मंदिर समिति ने अरविंद पांडेय को पंडित रखा.
मंदिर की स्थापना पूर्व मुखिया अनंत प्रसाद एवं मिस्त्री सिंह की पहल पर आसपास के ग्रामीणों के सहयोग से किया गया. शुरुआत में मंदिर के पुजारी हरी सिंह थे. वर्तमान में हरगोविंद सिंह और देवनन्दन यादव पुजारी हैं. मंदिर संचालन समिति में बाबूलाल महतो, बैकुंठ सिंह, अशोक यादव, प्रदीप सिंह, अंजन सिन्हा, तूफानी सिंह, पंकज यादव, अशोक राय, सरोज सिंह, महेंद्र सिंह, नीरो दास, सौरभ सिन्हा, जीबलाल यादव समेत आसपास के सभी गांवों से पांच-पांच सदस्य शामिल हैं. मंदिर की देखरेख और वार्षिक पूजा की जिम्मेवारी समिति को है.
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से कामना करने पर मुराद पूरी होती है. जिनकी मन्नतें पूरी होती है वे मां दुर्गा को आभूषण चढ़ाते हैं. जिनकी मन्नतें पूरी हुई है वैसे वैसे श्रद्धालुओं की संख्या भी लंबी है. मन्नत के रूप में चढ़ाए जाने वाले चढ़ावा को डाक कहा जाता है. डाक चढ़ाने वालों की भी लंबी फेहरिस्त है.