Suresh Singh
Giridih : जिले के बेंगाबाद प्रखंड के खुरचुट्टा की दुर्गा पूजा विशेष मानी जाती है. यहां दो सौ वर्षो से दुर्गा पूजा हो रही है. लोगों का मानना है कि यहां पूजाअर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कलश स्थापना के साथ ही यहां पूजा शुरु हो जाती है. पूरे नौ दिन विधि विधान के साथ मां महिषासुर संहारिनी मां दुर्गा की पूजा होती है.
अनोखी है खुरचुट्टा की कहानी
खुरचुट्टा दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष धीरन सिंह ने बताया कि आज से दो सौ वर्ष पूर्व इस क्षेत्र के टिकेत रोहन नारायण सिंह ने मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. पूर्वजों का कहना था कि रोहन नारायण सिंह को कोई संतान नहीं था. उन्होंने पुत्र की कामना को लेकर मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी. बाद में उन्हें संतान की प्राप्ति हुई थी. उस दिन से दूर-दूर से श्रद्धालु संतान की कामना को लेकर यहां मन्नते मांगते है. लोगों की मनोकामनाएं पूरी भी होती है.
संतान की कामना लेकर दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग
गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, धनबाद, बोकारो, देवघर और बिहार के जमुई, मुंगेर, भागलपुर और बांका जिले से श्रद्धालु दुर्गा पूजा में खुरचुट्टा आते है. ज्यादातर श्रद्धालु संतान की कामना लेकर ही खुरचुट्टा पहुंचते हैं.
भव्य मंदिर का ले चुका है रूप
पूजा समिति के सचिव महेंद्र साव ने बताया कि पीसी सामंता ने रोहन नारायण सिंह के बाद खपड़ैल का मंदिर बनाकर मां दुर्गा को स्थापित किया था. आज उस स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया है. खुरचुट्टा मंदिर में पूरे नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा अर्चना होती है.
कलश स्थापना के साथ ही पहुंचने लगते हैं श्रद्धालु
पूजा समिति के कोषाध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा कि खुरचुट्टा की दुर्गा पूजा दूर-दूर तक विख्यात हैं. कलश स्थापना के साथ ही यहां श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता हैं. नवमी और दशमी को यहां मेला लगता है.