Giridih : कोरोना काल के बाद पहली बार विगत 4 दिनों में सदर अस्पताल ब्लड बैंक में एक सौ से अधिक यूनिट रक्त का संग्रह किया गया. रक्त संग्रह किए जाने की सूचना ब्लड बैंक की सूचना पट्ट पर अंकित है. कोरोना काल में विगत दो वर्षों तक ऐसी स्थिति आई कि एक यूनिट ब्लड के भी लाले पड़ गए. एक सप्ताह पूर्व तक थैलेसीमिया मरीजों को ब्लड डोनर साथ में लेकर आना पड़ता था. जबकि नियम के तहत इन्हें निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराने का प्रावधान है. कोरोना काल के बाद सामाजिक संस्थाएं शिविर आयोजन करने में दिलचस्पी दिखा रही है. शहर समेत सुदूरवर्ती गांवों में भी कैंप आयोजित किए जा रहे हैं. शिविर लगाने में श्रेया क्लब के सचिव रमेश यादव अहम भूमिका निभा रहे हैं.
हीमोफोलिया व थैलेसीमिया के 150 मरीज
जिले में हीमोफोलिया व थैलेसीमिया के 150 मरीज हैं. इन मरीजों को एक माह में कम से कम 350 यूनिट रक्त की जरूरत होती है. मरीज समय-समय पर रक्त चढ़ाने सदर अस्पताल आते हैं. ऐसे मरीजों के लिए भी रमेश यादव मसीहा हैं. मरीज आने के बाद रमेश युवाओं को तलाशते हैं और रक्त उपलब्ध कराते हैं.
समाजिक संस्थाओं की अहम भूमिका
ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. सोहेल अख्तर ने बताया कि कोरोना काल के बाद रक्त भंडारण में लगातार कमी बनी रही. इसी माह नवंबर से इसमें सुधार हुआ है. रक्तदान करने में आम लोगों व सामाजिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका है. ब्लड डोनेट करने के लिए लोगों को प्रेरित करने पड़ेंगे. ब्लड डोनेट करने से शरीर को नुकसान पहुंचने की जगह लाभ होता है. शरीर में नए सेल्स बनते हैं. एक स्वस्थ व्यक्ति को साल में दो बार रक्तदान करना चाहिए.
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