Giridih : फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष किशोर मंत्री ने 9 अक्टूबर की शाम पत्रकारों से कहा कि राज्य में सरकारी अधिकारी बेलगाम हैं. नेताओं का अधिकारियों पर अंकुश नहीं रह गया है. अधिकारी अपनी मर्जी से कामकाज कर रहे हैं. मायका उद्योग समाप्ति के कगार पर है. लोह उद्योग मंदी की चपेट में है. अधिकारी अपने मतबल के नियम बनाते हैं. राज्य में भ्रष्टाचार के मामले उजागर न हो इस कारण राज्य सूचना आयोग को पंगु बना दिया गया है. धीवरा के नियमितीकरण को लेकर कोरोना काल में तत्कालीन खान सचिव श्रीनिवासन से अंतिम दौर की वार्ता हुई थी. कैबिनेट में प्रस्ताव रखने के लिए मसौदा तैयार हो चुका था. पदाधिकारी बदलने पर नीति में भी बदलाव किया गया.
राज्य में विधि व्यवस्था की खराब स्थिति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इसे जल्द ठीक किए जाने की जरूरत है. चेंबर पदाधिकारी डीजीपी से बातचीत कर कानून-व्यवस्था की स्थिति दुरुस्त करने की मांग करेंगे.
जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष निर्मल झुनझुनवाला ने एक सवाल के जबाव में कहा कि जिले में 8 लाख रैयतों के जमीन को गैरमजरूआ करार देकर प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया है. इससे व्यवसायियों को परेशानी हो रही है. डीसी को यह अधिकार है कि जमीन की जांच कर सूची से अलग कर सकते हैं. इस मामले में भी अधिकारी उदासीन रवैया अपना रहे हैं. पूर्व में ब्रांडेड कंपनी को ही फूड सेफ्टी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता था. अब खोमचे वाले को भी रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है.
किशोर मंत्री ने कहा कि 1960 में गठित चेंबर ऑफ कॉमर्स के फिलहाल 35 हजार सदस्य हैं. एक वर्ष के अंदर एक हजार नए और सदस्य बनाए जाएंगे. मौके पर पूर्व चेंबर अध्यक्ष मनोज नारेली, महासचिव डॉ. अभिषेक रामाधीन, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, शैलेश अग्रवाल, प्रमोद कुमार समेत अन्य मौजूद थे.