शिक्षा अधिकार व बाल अधिकार पर जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर उठाया गंभीर सवाल
Giridih. : शहर के अंबेडकर भवन में 9 सितंबर को शिक्षा व बाल अधिकार पर आयोजित जन संवाद में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाया. कहा गया कि सरकार व सरकारी अधिकारियों की मंशा व्यवस्था में सुधार की नहीं है, आंकड़े दुरुस्त करने के लिए प्रावधान ही बना दिया गया कि किसी बच्चे को फेल नहीं करना है. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल किया कि ऐसी व्यवस्था से शिक्षा में कैसे सुधार होगा? सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ बागी, दीनबंधु, अजय कुमार, बैजनाथ, रूबी कुमारी, उमेश तिवारी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गांवा, तीसरी, बिरनी, जमुआ सहित कई प्रखंडों की शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे बताया. कहा कि जिले में 518 ऐसे विद्यालय हैं, जो एकल शिक्षकों के भरोसे हैं. 9% ऐसे विद्यालय हैं, जहां 3 से 12 माह में कई शिक्षक अवकाश ग्रहण करने वाले हैं, तब कैसी स्थिति होगी, विभाग को इस पर मंथन करना चाहिए. उम्र के अनुसार बच्चों की दक्षता होनी चाहिए पर सरकारी विद्यालयों में ऐसा देखा नहीं जाता. शिक्षा के नाम पर पैसा बहाया जा रहा है पर सुधार नहीं दिख रही है. जनप्रतिनिधि किसी मंच से शिक्षा की बदहाल व्यवस्था पर चर्चा नहीं करते. कहा गया कि यह दुखाद्य स्थित है कि शिक्षा की बुनियाद खत्म करने की साजिश की जा रही है. समाज को मजबूत करना है तो सरकारी विद्यालयों को बेहतर करना होगा. निजी विद्यालय शिक्षा का विकल्प कभी नहीं हो सकते.
शिक्षा, सुविधा, सामान, पढ़ाई एवं पोषण बच्चों का मौलिक अधिकार : प्रो. ज्यां द्रेंज
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स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की सुनने के बाद बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे अर्थशास्त्री सह सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. ज्यां द्रेंज ने कहा कि शिक्षा, सुविधा, सामान पढ़ाई व पोषण बच्चों का मौलिक अधिकार है, पर राज्य में सरकारी शिक्षा की बदहाल व्यवस्था है. कहा कि सरकारी विद्यालय आज बच्चों का टाइम पास केंद्र बनकर रह गए हैं. राज्य में तीन में एक प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जहां एक शिक्षक है. यह व्यवस्था बदलनी ही होगी. सरकार के भरोसे बैठे रहने से शिक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं होगा. सभी को मिलकर संघर्ष करना होगा. संघर्ष लंबा होगा, इससे घबराना नहीं है.
7 साल से राज्य में शिक्षकों की बहाली नहीं
प्रो. ज्यां द्रेंज ने कहा कि 7 साल से राज्य में शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है. शिक्षक अवकाश ग्रहण कर रहे हैं पर नई बहाली नहीं हो रही है. झारखंड सरकार केवल भरोसा दे रही है. जब तक पर्याप्त बहाली नहीं होगी, तब तक संघर्ष किया जाएगा. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निशुल्क प्रारंभिक शिक्षा देने की जिम्मेवारी सरकार की है. शिक्षकों को हर सप्ताह 45 घंटे की शिक्षा देनी है, पर ऐसा हो नहीं रहा है.
शहरी क्षेत्र में भी स्थिति दयनीय
प्रो. ज्यां द्रेंज ने अपने संबोधन के दौरान हुट्टी बाजार प्राथमिक विद्यालय का जिक्र करते हुए कहा कि आने के क्रम में विद्यालय गया, तो स्थिति दयनीय लगी. विद्यालय में 80 बच्चों का नामांकन है, पर उपस्थित 15 के करीब थी. पद स्थापित शिक्षक गायक थे. उन्होंने कहा कि शहर के मुख्य मार्ग में स्थित स्कूल की स्थिति इतनी चिंताजनक है. शहर के डीसी, डीएसई व जनप्रतिनिधि सभी इस राह से गुजरते हैं, पर ऐसी व्यवस्था पर क्यों नहीं सवाल उठाया जाता. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं अभिभावक मौजूद थे. जन संवाद से पूर्व झंडा मैदान से रैली निकाल लोग सभा स्थल पहुंचे थे.
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