गिरिडीह लोकसभा सीट का गठन संयुक्त बिहार में 1957 में हुआ था
गिरिडीह में मतदाता
कुल मतदाता – 18,40,296
महिला –8,91,023
पुरुष – 9,41,266
ट्रांस जेंडर – 07
लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा
एनडीए के पास दो- (गोमिया, बाघमारा
इंडिया के पास चार- गिरिडीह, डुमरी, बेरमो, टुंडी
झारखंड का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है गिरिडीह
2019 में चंद्रप्रकाश चौधरी ने यहां से जीता है चुनाव
Praveen Kumar
Ranchi : गिरिडीह लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में गिरिडीह, बोकारो और धनबाद जिले के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है. इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा आते हैं. गिरिडीह लोकसभा सीट का गठन संयुक्त बिहार में 1957 में हुआ था. यहां देश में दूसरी लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे. यह क्षेत्र दुर्गम पहाड़ियों और जंगलों से घिरा है. यह क्षेत्र अभ्रक और कोयला जैसे खनिज उत्पादन के लिए भी जाना जाता है. जैनियों के प्रमुख तीर्थस्थल पार्श्वनाथ पहाड़ी भी इसी क्षेत्र में पड़ता है. गौरतलब है कि गिरिडीह झारखंड का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है. 2019 के चुनाव में यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का कब्जा हुआ. 2019 के चुनाव में एनडीए के घटक दल आजसू पार्टी के चंद्रप्रकाश चौधरी ने यहां से जीत दर्ज की थी. एनडीए की ओर से अभी तक गिरिडीह लोकसभा से अधिकृत उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है, मगर कयास लगाए जा रहे हैं कि यहां से मुख्य मुकाबला एनडीए के निवर्तमान सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और झामुमो के मथुरा महतो के बीच हो सकता है. वहीं, जयराम महतो ने भी यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इस स्थिति में मुकाबला काफी रोचक होने वाला है. ज्ञात हो कि झारखंड राज्य गठन के बाद से इस सीट पर भाजपा और झामुमो के बीच टक्कर होती रही है. 2024 के चुनाव में गिरिडीह की जनता किसे अपना सांसद चुनती है, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.
1957 में हुआ था पहला लोकसभा चुनाव
1957 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से छोटानागपुर संथाल परगना जनता पार्टी काजी एसए मतीन विजयी हुए थे. उन्हें 51.3% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के नागेश्वर प्रसाद सिंह को 30.9% वोट मिले थे. वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 11.4% वोट प्राप्त हुए थे.
1962 में स्वतंत्र पार्टी ने दर्ज की जीत
1962 में हुए लोकसभा चुनाव में गिरिडीह से स्वतंत्र पार्टी के ठाकुर बटेश्वर सिंह विजयी हुए थे. इन्हें कुल 39.8 % वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के चपलेंदु भट्टाचार्य को 36.4% वोट प्राप्त हुए थे.
1967 में पहली बार कांग्रेस की हुई जीत
1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अब्दुल इम्तियाज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया. उन्हें 33 % वोट प्राप्त हुए, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी एम. एस. ओबराय को 31.02 और भारतीय जन संघ को 17.8 % वोट मिले.
1971 में कांग्रेस ने दर्ज की जीत
1971 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस ने चपलेंदु भट्टाचार्य को अपना उम्मीदवार बनाया. चपलेंदु ने इस बार पार्टी को निराश नहीं किया. 37.8 % वोट के साथ वह विजयी हुए. वहीं उनके प्रतिद्वंदी कृष्ण बल्लभ सहाय को 34.8 % वोट मिले. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को 17.8 % वोट मिले.
1977 में कांग्रेस की हुई हार
1977 के लोकसभा चुनाव में यहां से भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी. भारतीय लोक दल के रामदास सिंह को 56.4 % वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 29.5 % वोट प्राप्त मिले.
1980 में कांग्रेस के बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे जीते
1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे को चुनाव में उतारा. बिंदेश्वरी प्रसाद दुबे 34.4 % वोट लाकर चुनाव जीते.
1984 में इंदिरा की हत्या के बाद कांग्रेस की जीत
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की. कांग्रेस के सरफराज अहमद को 51.8 % वोट प्राप्त हुए थे. निर्दलीय उम्मीदवार विनोद बिहारी महतो को 18.8 और भाजपा के रामदास सिंह को 17.4 % वोट मिले थे.
1989 में भाजपा ने पहली बार दर्ज की जीत
1989 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भाजपा ने जीत दर्ज की थी. भाजपा के रामदास सिंह को 35.2 % वोट मिले थे. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी विनोद बिहारी महतो को 31.5 % वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के सरफराज अहमद को 26.9 % वोट मिले थे.
1991 के चुनाव में झामुमो की जीत
1991 के लोकसभा चुनाव में विनोद बिहारी महतो 47.2 % वोट लाकर चुनाव जीते. वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट से चुनाव लड़े थे. इससे पहले विनोद बिहारी महतो लगातार इस सीट पर चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. भाजपा के रामदास सिंह को 31.02 % वोट प्राप्त हुए. वहीं कांग्रेस के सरफराज अहमद को 15.9 % वोट प्राप्त हुए.
1996 में भाजपा ने फिर दर्ज की जीत
1996 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने जीत दर्ज की. इस बार भाजपा ने रवींद्र कुमार पांडे को अपना उम्मीदवार बनाया था. भाजपा को 29.8% वोट प्राप्त हुए थे. जबकि दूसरे स्थान पर रहे जनता दल को 20.7 %, झारखंड मुक्ति मोर्चा (एम) को 16.3 और कांग्रेस को 13.7 फीसदी वोट प्राप्त हुए थे.
1998 में रवींद्र पांडे ने दूसरी बार दर्ज की जीत
1998 के चुनाव में भाजपा के रवींद्र पांडे ने दूसरी बार इस सीट से जीत दर्ज की. भाजपा को 1998 में 44.7 % वोट प्राप्त हुए थे. जबकि कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 34 % वोट प्राप्त हुए थे.
1999 में भाजपा ने फिर हासिल की जीत
1999 में हुये लोकसभा उप चुनाव में फिर से भाजाप ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. भाजपा को 1999 में कुल 46% वोट प्राप्त हुए, जबकि कांग्रेस को 42.3 % वोट प्राप्त हुए.
2004 में जीता झामुमो
2004 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह की लोकसभा सीट भाजपा के हाथ से निकल गई. इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टेकलाल महतो ने जीत दर्ज की. इन्हें कुल 49 % वोट प्राप्त हुए. जबकि भाजपा के रवींद्र पांडे को 28.5% और जनता दल यूनाइटेड के इंद्रदेव महतो को 11.4 % वोट प्राप्त हुए थे.
2009 में भाजपा ने फिर हासिल की जीत
2009 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने परचम लहराया. भाजपा के रवींद्र पांडे को 37.7 % वोट प्राप्त हुए, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 24 % और झारखंड विकास मोर्चा प्र. को 20.5 % वोट प्राप्त हुए.
2014 में भाजपा के रवींद्र पांडे पांचवीं बार जीते
2014 के चुनाव में इस सीट पर फिर रवींद्र पांडे भाजपा से विजयी हुए. इस बार पांडे को कुल 40.4 % वोट प्राप्त हुए थे. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगन्नाथ महतो को 36.02 % वोट प्राप्त हुए थे.
2019 में आजसू ने दर्ज की जीत
2019 में हुए चुनाव में गिरिडीह सीट पर भाजपा और आजसू के बीच सीटों का समझौता हुआ था. जिसके तहत यह सीट आजसू पार्टी के पास चली गई. आजसू पार्टी के चंद्र प्रकाश चौधरी ने गिरिडीह सीट से 2019 में 58.6 % वोट लाकर जीत हासिल की. जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के जगन्नाथ महतो को 36.01% वोट मिले थे.
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