Giridih : जगन्नाथडीह के मिर्जागंज में जलीय सूर्य मंदिर लोक आस्था का केंद्र है. यह मंदिर झारखंड का गौरव है. महापर्व छठ के अवसर पर मंदिर की आकर्षक साज सज्जा होने से और ज्यादा निखार आ गई है. तालाब में निर्माण किए जाने के कारण जलीय मंदिर नाम पड़ा. वर्ष 1993 में इस मंदिर की आधारशिला रखी गई थी. उस समय किसी ने यह नहीं सोचा कि आगे चलकर यह मंदिर झारखंड का गौरव कहलाएगा. वर्ष 2003 में मंदिर बनकर तैयार होने के बाद प्रतिमाएं स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा की गई. मंदिर में दर्शन के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं. जमुआ विधायक केदार हाज़रा ने विवाह मंडप और धर्मशाला का निर्माण कराया है. पूर्व सीएम रघुवर दास सौंदर्यीकरण के लिए 4 करोड़ 20 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की थी. केदार हाजरा ने बताया कि मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में शामिल कर लिया गया है.
मुख्य आकर्षण बाह्य पंखुड़ियां
मंदिर का मुख्य आकर्षण कमल फूल की बाह्य पंखुड़िया हैं. गर्भ गृह में सूर्य मन्दिर है. पंखुड़ियों पर भगवान की 6 प्रतिमाएं विराजमान है. मंदिर की ऊंचाई 43 फीट 6 इंच है.
वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना
यह मंदिर वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है. इस नायाब वास्तुकला को मूर्त रूप बिहार के वास्तुकार त्रिलोकेश्वर प्रसाद ने दिया. भूमि पूजन बच्चू साव ने की थी. उनका निधन हो चुका है. भूमि पूजन में मुख्य भूमिका विनोद शंकर दाराद ने निभाई थी.
छठ पूजा की तैयारी जोरों पर
छठ के लिए घाटों की सफाई की गई है. छठ व्रतियों की सुविधा के लिए सूर्य मंदिर निर्माण सह विकास समिति के स्वयं सेवक मुस्तैद हैं. तालाब की गहराई ज्यादा होने के कारण पानी निकाला जा रहा है. गहराई कम रहने पर छठ व्रतियों को अर्घ्य देने में सुविधा होगी. घाट की सजावट आकर्षक है. रंग-बिरंगे लाइट की व्यवस्था की गई है. आकर्षक तोरण द्वार बनाए गए हैं.
यह भी पढ़ें : गिरिडीह : नये सर्किट हाउस में बैठक के बाद भाजपा ने हेमंत सरकार पर दागे गोले