प्रशासन ने करा दिया था बंद, अंदरखाने जारी था धंधा
Dumri (Giridih) : डुमरी पंचायत के घुजाडीह में संचालित बाबा हॉस्पिटल में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही से 26 अगस्त की शाम एक नवजात की मौत हो गई. आश्चर्य है कि स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस व अन्य वैध कागजात नहीं रहने के आरोप में इस तथाकथित अस्पताल को गत 24 मई को ही सील कर दिया था, बावजूद हॉस्पिटल में बैकडोर से मरीजों को भर्ती कर चिकित्सा की जा रही है और इसी अनियमितता के चक्कर में एक नवजात की जान चली गई. इधर, नवजात की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा भी किया लेकिन बाद में वे भी अस्पताल संचालक से कथित रुप से डेढ लाख रुपये वसूल कर नवजात की मौत का सौदा कर लिए और लाश लेकर चलते बने.
अप्रशिक्षित कर्मियों की वजह से गई नवजात की जान !
बताया जाता है कि पेंक थाना निवासी मो इकलाख की गर्भवती पत्नी को 24 अगस्त को बाबा हॉस्पिटल में डिलेवरी के लिए भर्ती कराया गया था. दो दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद 26 अगस्त को अस्पताल की एक तथाकथित नर्स ने नॉर्मल डिलेवरी करा दिया. डिलेवरी के बाद जब नवजात की स्थिति बिगड़ने लगी तब आनन-फानन में अस्पताल कर्मियों ने ऑक्सीजन लगा कर बेहद नाजुक स्थिति में नवजात को धनबाद के एक निजी अस्पताल रेफर कर दिया. धनबाद में चिकित्सकों ने बताया कि नवजात की स्थिति नाजुक है, जैसे ही ऑक्सीजन हटायेंगे, वैसे ही नवजात दम तोड़ देगा और हुआ भी ऐसा ही. वहां नवजात की मौत हो गई. इधर, नवजात के पिता का आरोप था कि धनबाद के चिकित्सक ने बताया कि डिलेवरी कराते वक्त नर्स ने नवजात की सिर को पकड़ कर गर्भ से निकाला है, जिससे यह स्थिति बनी. मो इकलाख का आरोप था कि जब वह अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराये थे तब नर्स ने बताया गया था कि चिकित्सक आ जायेंगे पर कोई चिकित्सक नहीं आया और नर्स ने खुद ही जैसे-तैसे प्रसव करा दिया था. इसके बाद शिशु की स्थिति बिगड़ने लगी थी.
बाप ने डेढ लाख में कर लिया बेटे की मौत का सौदा !
मोहब्बत इकलाख ने बताया कि मुझे पता नहीं था कि यह अस्पताल सील है. प्रसव के दौरान नर्स ने लापरवाही की जिससे बच्चे की मौत हो गई. पीड़ित का आरोप था कि अस्पताल के खराब सिस्टम से हमारे बच्चे की मौत हुई है. इधर, नवजात की मौत के बाद उसके शव को लेकर परिजन वापस बाबा हॉस्पिटल पहुंचे और यहां खूब हंगामा मचाया. लोगों की भीड़ भी जुटी लेकिन अस्पताल कर्मियों ने मोहब्बत इकलाख की बाबा हॉस्पिटल संचालक से फोन पर बात कराई इसके बाद पीड़ित पक्ष अचानक शांत हो गया और चुपचाप शव को लेकर चलता बना. सूत्र बताते हैं कि अस्पताल संचालक ने पीड़ित परिवार को डेढ लाख रुपये कथित तौर पर मुआवजा देकर मामले को सलटा दिया है. इधर, अस्पताल प्रबंधन ने मामला के संबंध में पूछने पर कहा कि अस्पताल में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है, क्योंकि कोई एफआईआर नहीं हुई है. बहरहाल यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है.
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