Giridih : गिरिडीह (Giridih) – सदर अस्पताल प्रबंधन शिकायतों के निवारण में सुस्त है. यह आरोप कोई व्यक्ति नहीं लगा रहा, वरन् अस्पताल में लगी सुझाव पेटी बयां कर रही है. 1997 में सुझाव पेटी सदर अस्पताल में लगाई गई थी. उस वक्त बिहार-झारखंड का बंटवारा भी नहीं हुआ था. इसे लगाने का मकसद लोगों की शिकायतों का निवारण करना था. यह सुझाव पेटी 1997 के बाद अब तक सिर्फ एक बार खुली है. विगत साल 2021 में यह खुली थी. सुझाव पेटी के ताले पर जंग चढ़ी है.
हर सप्ताह खोलने का प्रावधान
सुझाव पेटी को हर सप्ताह खोलकर शिकायतों के निवारण का प्रावधान है. दशकों तक ताला ही नहीं खुला तो निवारण की उम्मीद बेमानी है. सरकार ने लोगों को सेवा से संतुष्ट नहीं होने पर शिकायत दर्ज कराने के अधिकार दिए. सुझाव पेटी में लोगों की ओर से की गई शिकायत पत्रों पर सिविल सर्जन या सदर अस्पताल के उपाधीक्षक स्तर से निवारण का प्रावधान है. हजारीबाग या रांची मुख्यालय स्तर का मामला होने पर शिकायतों को रजिस्टर में दर्ज कर उपाधीक्षक के जरिए आगे बढ़ाने का प्रावधान है. सदर अस्पताल में शिकायत न तो कभी रजिस्टर में दर्ज की गई और न ही कभी वरीय अधिकारियों को भेजी गई.
संज्ञान उपाधीक्षक की जिम्मेवारी
सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने कहा कि सुझाव पेटी में डाली गई अर्जियों के संज्ञान की जिम्मेवारी सदर अस्पताल के उपाधीक्षक की है. यहां सभी को अलग-अलग जिम्मेवारी सौंपी गई है. जिम्मेवारी के निर्वहन को लेकर जवाब सक्षम अधिकारी ही दे सकते हैं.
सुझाव पेटी शीघ्र होगी एक्टिव
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. उपेंद्र दास ने कहा कि सुझाव पेटी शीघ्र एक्टिव होगी. शिकायतों पर त्वरित एक्शन लिया जाएगा.
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