Giridih : गिरिडीह (Giridih)– जिले में सड़क दुर्घटना के अनुपात को देखते हुए ट्रामा सेंटर खोला जाना जरूरी है. ट्रामा सेंटर में घायलों को तत्काल भर्ती कर इलाज किया जाता है. जिले में ट्रामा सेंटर खोलने की मांग डेढ़ दशक पुरानी है. एनएच पर अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है. जिले में एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है.
एनएच पर ट्रामा सेंटर का होना जरूरी
सड़क हादसे में घायल लोगों को ट्रामा सेंटर तक पहुंचाने के लिए मोबाइल मेडिकल टीम एनएच पर तैनात रहती है. सेंटर और मोबाइल टीम आपस में संपर्क बनाकर रखते हैं. ट्रामा सेंटर की सर्वाधिक जरूरत एनएच की सड़कों पर होती है. एनएच पर दुर्घटना का अनुपात ज्यादा है. ट्रामा सेंटर में वेंटिलेटर और आईसीयू जैसी सुविधाएं उपलब्ध रखा जाता है.
बगोदर विधायक ने उठाया था मामला
बगोदर के भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने वर्ष 2009 में विधानसभा में ट्रामा सेंटर का मुद्दा उठाया था. पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में बरही, बगोदर व गोविंदपुर में ट्रामा सेंटर खोलने का मामला आगे भी बढ़ा. उसके बाद फिर शिथिल पड़ गया.
एक भी नहीं है न्यूरो सर्जन
जिला में एक भी न्यूरो सर्जन पदस्थापित नहीं हैं. सड़क दुर्घटना में सर्वाधिक मौत सिर में चोट लगने से होती है. सदर अस्पताल में सड़क हादसे के शिकार लोगों को भर्ती किए जाने पर ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ही देखते हैं. गंभीर रूप से घायल लोगों को प्राथमिक इलाज के बाद दूसरे जगह रेफर कर दिया जाता है.
बनता रहा है चुनावी मुद्दा
सदर अस्पताल में विभिन्न सुविधाओं की उपलब्धता हर लोकसभा व विधानसभा चुनाव के वक्त चुनावी मुद्दा बनकर रह जाता है. वैसे आईसीयू वेंटिलेटर की मांग पूरी की जा चुकी है. अब ट्रामा सेंटर की मांग तेज होगी.
सिविल सर्जन ने भेजा है प्रस्ताव
सिविल सर्जन डॉ. एसपी मिश्रा ने बताया कि गिरिडीह में ट्रामा सेंटर खोले जाने प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है. डूंगरी, बगोदर और सदर अस्पताल में से किसी एक जगह ट्रामा सेंटर खोलने को कहा गया है.
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