Pirtand (Giridih): जैनियों के विश्व प्रसिद्ध मधुबन स्थित तलेटी तीर्थ में चातुमार्स साधनारत मुनि श्री रत्नरक्षित विजय जी महाराज मासक्षमण तप कर रहे हैं. यह तप गुरुवार को संपन्न किया गया. चातुर्मासिक आराधना के दौरान तलेटी तीर्थ में प्रवचन समेत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये गये. आचार्य विजय मुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज के शिष्य रत्नरक्षित विजय जी महाराज ने अपने मासक्षमण तप को आज पूर्ण किया.
मासक्षमण तप का अर्थ एक मास तक अन्न का त्याग
मासक्षमण तप का अर्थ होता है पूरे तीस दिन यानी एक मास तक अन्न का त्याग. इनके अलावा जैन महाराज की शिष्या विदुषि रत्नपुण्याश्री जी महाराज भी तीस उपवास कर रही है. उनका यह उपवास चार नवंबर को संपन्न होगा. बताया जाता है कि पर्यूषण पर्व के बाद छह श्रमण श्रमणी भगवंतों ने तीस उपवास किये है. अर्थात तीस दिन तक अन्न ग्रहण नहीं किया है. बताया जाता है कि मासक्षमण की समाप्ति के अवसर पर बुधवार एवं शनिवार को मुंबई और पुणे से आये मुनि एवं साध्वी के संसारिक जीवन के स्वजन भी उपस्थित रहेंगे.
जैनाचार्यों द्वारा तपधर्म की महिमा पर प्रवचन दिया जायेगा
इस अवसर पर जैनाचार्यों द्वारा तपधर्म की महिमा पर प्रवचन दिया जायेगा. पुण्यरक्षित विजय जी महाराज ने बताया कि चातुर्मास के दौरान तलेटी तीर्थ में कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित हुए. पर्यूषण पर्व के बाद नवपद ओली का भी आयोजन किया गया जिसमें 180 आराधकों ने आयंबिल तप किया दीपावली पर्व में भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक निमित्त विशेष धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा.
मालूम हो कि तलेटी तीर्थ में आचार्य विजयमुक्तिप्रभ सूरीश्वर जी महाराज, आचार्य विजयअक्षयभद्रसूरीश्वर जी महाराज, आचार्य विजयहर्षतिलक सूरी जी महाराज एवं आचार्य विजयपुण्यप्रभ सूरी जी महाराज के निश्रा में चातुर्मासिक साधना की जा रही है.