Ranchi: झारखंड में गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या नई नहीं है. हाल के दशक में यह स्थिति और गंभीर हो गई है. घटते जलस्रोत, कटते पेड़-पौधे, भू-क्षरण इसके मुख्य कारणों में हैं. राज्य में जल संकट एक गंभीर समस्या है. पेयजल की स्थिति तो और भी बुरी है. पहाड़ी इलाकों में इन दिनों हालात यह है कि दिन दिन भर महिलाएं पानी के लिए भटकती रहती है. पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड के उत्तर के पहाड़ी इलाकों में पेयजल संकट गहरा गया है. सरकारी योजना यहां फेल है. गाड़े गए चापानल से अब पानी नहीं निकलता है. ग्रामीण इसे बकरी बांधने के काम में लाते हैं.वहीं अपनी प्यास गड्ढ़े के पानी से बुझाते हैं. शहरी इलाकों में भी स्थिति अच्छी नहीं है. कई क्षेत्रों में लोग खरीद कर पानी पी रहे हैं. सरकारी टैंकर घर-घर पानी पहुंचाने का काम कर रहे हैं. लेकिन आबादी के लिहाज से टैंकर कम पड़ रहे हैं. सभी की उम्मीदें बारिश पर टिकी हैं कि कब वर्षा हो और सूखे कुएं, तालाब और नदी में पानी आ जाए. जल समस्या पर शुभम संदेश की टीम ने विभिन्न जिलों से जानकारी हासिल की है. पेश है रिपोर्ट….
चुआं और गड्ढे का पानी पीकर अक्सर बीमार पड़ते हैं ग्रामीण नहीं है एक भी चापाकल
पश्चिमी सिंहभूम जिला के बंदगांव प्रखंड के भालुपानी पंचायत के चिंगिदा गांव के ग्रामीण चुआं और गड्ढे का पानी पीने को विवश हैं. इस गांव में 200 की आबादी है, लेकिन एक भी चापाकल नहीं है. लगभग डेढ़ किमी की दूरी पर नावदा गांव के विद्यालय के समीप एक चापाकल है. जंगल और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां गाड़ियां भी नहीं जा पाती हैं. इस कारण क्षेत्र में बोरिंग नहीं होने के कारण चापाकल नहीं गाड़ा जा सका है. गर्मी के मौसम में हर साल यहां पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. गड्ढों और चुओं का पानी पीने के कारण ग्रामीण अक्सर बीमार भी पड़ते हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. बंदगांव की जिला परिषद सदस्य बसंती पूर्ति गांव जाकर समस्या से अवगत हुईं. इस संबंध में जिला परिषद सदस्य बसंती पूर्ति ने कहा कि क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही के लिए रास्ता ही नहीं है. इस कारण बोरिंग नहीं कराई जा सकी है, लेकिन पानी की समस्या दूर करने के लिए कुआं या दूसरे क्षेत्र में चापाकल गाड़ कर पाइप लाइन के जरिये पानी पहुंचाया जा सकता है. इसे लेकर वे विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ पश्चिमी सिंहभूम जिला के उपायुक्त से बात करेंगी, ताकि क्षेत्र में पानी की समस्या दूर हो सके.
जोभी गांव में भीषण जल संकट, सबर जनजाति टोले में जलापूर्ति योजना फेल
पूर्वी सिंहभूम जिला के चाकुलिया प्रखंड के उत्तर के पहाड़ी इलाकों में गर्मी में पेयजल संकट गहरा गया है. ग्रामीण पानी के लिए भटक रहे हैं. प्रखंड के बड्डीकानपुर-कालापाथर पंचायत में पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे और पहाड़ पर बसे जोभी गांव में भीषण जल संकट है. मुख्यमंत्री नल जल योजना घर-घर तक जल पहुंचाने में फेल हुई है. गांव के सबर जनजाति टोला में जलापूर्ति योजना फेल हो गई है. घर-घर में पानी के लिए नल तो लगाए गए हैं, परंतु नल में पानी नहीं आता है. घर-घर लगाए गए नलों में सबर बकरी बांधते हैं. इस हालत में लगभग 12 सबर परिवार टोला से एक किलोमीटर दूर स्थित खरपतवार से भरे कुआंनुमा कच्चे गड्ढे से पीने का पानी लाते हैं. टोला के पुटिया सबर, लेना सबर, कलिका सबर और टेंटे सबर ने बताया कि इस जलापूर्ति योजना से पानी काफी कम निकलता है. इसके कारण घर में लगाए गए नल में पानी नहीं आता है. विगत एक माह से जलापूर्ति योजना खराब हो गई है. पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है. टोला के वार्ड मेंबर चंडी चरण मुंडा ने इस मसले पर कहा कि इस संबंध में मुखिया और जल एवं स्वच्छता विभाग के पदाधिकारियों को सूचना दे दी गई है, परंतु योजना की मरम्मत की दिशा में अभी तक पहल नहीं हुई है.
मुहलडीहा में पानी की भारी किल्लत, तालाब का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं 500 ग्रामीण
मनोहरपुर प्रखंड अंर्तगत बरंगा पंचायत के ग्राम मुहलडीहा स्थित तालाब टोला के ग्रामीण पेयजल संकट से जूझ रहें हैं. उक्त टोला में एक भी कुआं और चापकल नहीं हैं. यह टोला आदिवासी बहुल टोला है.यहां करीब 400-500 की आबादी है. यहां के स्थानीय लोग टोला के समीप तालाब पर निर्भर हैं. जबकि गर्मी के कारण तालाब का जलस्तर भी कम होता जा रहा है. जिससे तालाब का पानी भी गंदा हो गया है.
गंदे पानी का कर रहे हैं उपयोग
स्थानीय लोग अपनी दिनचर्या के काम में तालाब के गंदे पानी का उपयोग करने को मजबूर हैं. स्थानीय ग्रामीणों में पेयजल समस्याओं को लेकर भारी नाराजगी है. ग्रामीणों का कहना है कि टोला में पेयजल समस्या को लेकर किसी ने भी आज तक सुध नहीं ली है. शुक्रवार को स्थानीय ग्रामीणों ने गोलबंद होकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है. साथ ही आने वाले चुनावों में उन नेताओं और जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने का निर्णय लिया है.
साहिबगंज जिले के बोरियो प्रखंड मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर धुरुवा, रक्सो और दुल्लेपहाड़ के ग्रामीण भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. गांवों में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा है. ग्रामीण झरने का पानी लाकर छानते हैं, उबालते हैं, फिर पीने और खाना बनाने में उपयोग करते हैं.
बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण
बोरियो प्रखंड के ही रकसो गांव में भी पानी की किल्लत है. इस गांव की रहने वाली पाकु मुर्मू ने बताया कि चिलचिलाती धूप में एक किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव में चापाकल काफी दिनों से खराब है.
चार माह से खराब पड़ा है चापानल : मराइग्न मन
धुरुवा गांव निवासी मराइग्न मन सोरेन नामक एक महिला ने बताया कि गांव में सिर्फ एक चापाकल है. वह भी करीब चार महीने से खराब पड़ा है. इस चापाकल से गांव के करीब एक सौ परिवारों की प्यास बुझती थी. संबंधित विभाग चापाकल का मरम्मत नहीं कर रहा. भीषण गर्मी में ग्रामीण झरना से पानी लाकर पीने को विवश हैं.
भीषण गर्मी में लोगों को पानी नसीब नहीं हो रहा : मैसा पहाड़िया
बोरियो प्रखंड के दुल्लेपहाड़ गांव के लोग भी पेयजल संकट झेल रहे हैं. भीषण गर्मी में लोगों को पेयजल मयस्सर नहीं हो रहा है. इस गांव के निवासी मैसा पहाड़िया ने बताया कि गांव में करीब 35 घर है, जिसमें अलग-अलग परिवारों के करीब दो सौ लोग रहते हैं. गांव में शुद्ध पेयजल के लिए एक भी चापाकल नहीं है. भीषण गर्मी में गांव में स्थित कुआं भी सूख चुका है. ग्रामीणों को दो किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है.
मुसहरिया के ग्रामीण सुबह से ही पीने के पानी के जुगाड़ में निकल जाते हैं
जिले के तिसरी प्रखंड के मुसहरिया गांव में गर्मी के दस्तक के साथ ही पेयजल संकट गहराने लगता है. गर्मी के दिनों में ग्रामीण पेयजल के लिए काफी परेशान रहते हैं. आजादी के 75 वर्ष के दरम्यान स गांव में एक कुआं का निर्माण और एक चापाकल लगा है. कुआं पूरी तरह धंस चुका है और चपाकल कई महीनो से खराब पड़ा हुआ था, जिसे कुछ दिन पहले ठीक करवाया गया है. लेकिन ये नाकाफ़ी साबित हो रहा है. मजबूरन ग्रामीण महिलाएं नाले के पानी पर आश्रित हैं.
गर्मी बढ़ते ही जल संकट गहराया, नाले का पानी पीने को मजबूर हैं : अमरजीत कुमार
ग्रामीण अमरजीत कुमार ने बताया कि गर्मी शुरू होते ही लोग पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीण नाला का दूषित पानी पीने को विवश है. सुबह होते ही महिलाओं को सबसे ज्यादा पानी लाने की चिंता सताने लगती है.
सरकार दावे करती है, पर गांव के लोग पानी के लिए भटक रहे : मुकेश कुमार
मुकेश कुमार ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार विकास के लंबे चौड़े दावे कर रही है. इसके बाद भी मुसहरिया गांव के लोग पीने के पानी के लिए भटक रहे हैं. इस गांव में विकास की रौशनी के साथ-साथ पेयजल की समुचित व्यवस्था का लंबे समय से इंतजार है.
न गांव में पर्याप्त चापानल और न पीने के पानी की व्यवस्था : मुस्तकीम अंसारी
मुखिया प्रतिनिधि मुस्तकीम अंसारी ने कहा कि मुसहरिया गांव में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है. खराब पड़े चपाकल की मरम्मत करवाई गई हैं. लेकिन एक चापाकल गांव के लिए पर्याप्त नहीं है. लोगों को पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है.
बहुत जल्द नलजल योजना शुरू होगी सब को मिलेगी राहत : मणिकांत
पीएचईडी विभाग के कनीय अभियंता मणिकांत ने कहा कि मुसहरिया में पेयजल की समस्या है. गर्मी शुरू होते ही खराब पड़े चापाकल को ठीक करवा दिया गया है. जल नल योजना बहुत जल्द शुरू होने वाली है. इससे ग्रामीणों को लाभ मिलेगा.
परसुडीह क्षेत्र में कहीं पानी ही पानी, तो कहीं मचा है हाहाकार : नंद किशोर
परसूडीह निवासी नंदकिशोर ठाकुर ने बताया कि क्षेत्र के सरजामदा, सोपोडेरा, हलुदबनी, रॉबर्टनगर मकदमपुर समेत कई क्षेत्रों मे जल संकट नहीं है. लेकिन जल की बर्बादी ज्यादा है. क्षेत्र में जगह-जगह सप्लाई पानी का फाइप फट गया है. जिसके कारण सैकड़ों लीटर पानी रोज बर्बाद हो रहा है. वहीं शंकरपुर, नामोटोला, हलुदबनी के कुछ क्षेत्रों में पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया है. जिसके कारण लोगों को पेयजल की किल्लत झेलनी पड़ती है. उक्त मुहल्ले के लोग दूसरे मुहल्ले से पानी लाने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में फ्लैट संस्कृति के हावी होने के कारण लोगों के घरों का पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है. जिसके कारण लोगों को पानी की किल्लत होती है.
अधिकतर चापानल खराब,जार से ढोना पड़ता है पानी : लाली कुमार
करनडीह बोदरा टोला के रहने वाले लाली कुमार ने बताया कि क्षेत्र में पानी की काफी गंभीर समस्या है. यहां सप्लाई पानी नहीं है. साथ ही अधिकांश चापानल खराब हैं. जिसके कारण घाघीडीह जेल के समीप से जार से पानी लाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कहीं-कहीं पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है. जिसके कारण पंचायत की ओर से स्थापित सोलर एवं मोटर जलमीनार से पानी नहीं निकलता है. अधिकतर लोग दूसरे मुहल्ले से पानी लाकर अपना दैनिक कार्य निपटाते हैं. जन प्रतिनिधियों की ओर से करनडीह में पानी का टैंकर नहीं भिजवाया जाता है.
रेलवे के सप्लाई वाटर पर निर्भर रहना पड़ता है: आरती कुमारी
बागबेड़ा गांधीनगर की रहने वाली आरती कुमारी ने बताया कि रेलवे की जमीन पर बसे अधिकतर लोगों को रेलवे के सप्लाई पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. हालांकि उक्त पानी पीने के योग्य नहीं है. पीने के लिए लोगों को दूसरे मुहल्ले से पानी लाना पड़ता है. आरती कुमारी ने बताया कि कई मुहल्लों में बागबेड़ा थाना की ओर से टैंकर से पानी की सप्लाई की जाती है. सप्ताह में एक बार टैंकर से पानी दिया जाता है. जिला परिषद सदस्य कविता परमार का कहना है कि उनका क्षेत्र काफी बड़ा है.
प्रखंड परिसर के 3 में से दो चापाकल खराब पड़े हैं : मो. अजहर खान
खासमहल आरईओ कालोनी के रहने वाले मो. अजहर खान ने बताया कि आरईओ कालोनी एवं करनडीह बिजली कालोनी के लोग जमशेदपुर प्रखंड परिसर स्थित चापानल से पानी ले जाते हैं. प्रखंड परिसर के तीन छोर पर तीन चापानल लगाए गए हैं. लेकिन वर्तमान में एक कार्यरत है तथा दो खराब हैं.
छोटा पुड़दा और पंड्राशाली में पेयजल संकट गहराया
मंझारी प्रखंड के मेरोम होनर पंचायत अतंर्गत छोटा पुड़दा और पंड्राशाली में इन दिनों पेयजल संकट गहरा गया है. ग्रामीण किसी तरह आधा किमी दूर से पेयजल व्यवस्था कर रहे हैं. गांव में लगी जलमीनार पिछले दो माह से खराब है. जलमीनार खराब रहने से ग्रामीणों को पेयजल के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि छोटा पुढ़दा में लगी जलमीनार पिछले दो माह से खराब है. इस कारण ग्रामीणों को पेयजल के लिए नदी के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. गांव में करीबन 40 परिवार रहते हैं. यह जलमीनार पंचायत के 15वीं वित्त राशि से बनी थी. जलमीनार खराब होने की शिकायत पंचायत प्रतिनिधि से कई बार की गई, लेकिन अब तक उसका संज्ञान नहीं लिया गया है. वहीं पंड्राशाली के मोटा बिरूवा ने बताया कि पेयजल के लिए बनी जलमीनार तीन माह से खराब है. खराब रहने से पेयजल के दर-दर भटकना पड़ रहा है.
जलमीनार दो माह से खराब है : कैरा सोय
कैरा सोय कहते हैं कि गांव में जलमीनार पिछले दो माह से खराब पड़ी है. जलमीनार खराब रहने से पीने के लिए पानी नदी से लाना पड़ रहा है.इसके लिए ग्रामीणों को लगभग आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है : नानिका
नानिका कुंकल कहती हैं कि जलमीनार खराब है. पेयजल के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी में पैदल जाकर दूर से पानी लाना पड़ता है. नहाने के लिए भी गांव में पानी नहीं है.
प्रतिनिधि से कई बार शिकायत की गई है : लखीन्द्र
लखीन्द्र कुंकल कहती हैं कि गांव में खराब जलमीनार को ठीक करने के लिए पंचायत प्रतिनिधि से कई बार शिकायत की गई है, लेकिन अब तक कोई सुध नहीं ली गई है. लोगों को पानी के लिए परेशान रहना पड़ता है.
दो माह से खराब है जलमीनार : समीर कुंकल
समीर कुंकल कहते हैं कि गांव में 14वीं वित्त राशि से बनी जलमीनार पिछले दो माह से खराब पड़ी है. जलमीनार खराब रहने से पेयजल के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. समस्या सुनने वाला कोई नहीं है.
पेयजल संकट से परेशान लोगों ने पूर्व विधायक से लगाई गुहार
पूर्व विधायक ने दिया समस्या समाधान का आश्वासन
गर्मी में तेजी के साथ ग्रामीण क्षेत्र में पीने के पानी की समस्या बढ़ गई है. पेयजल स्रोत जवाब देने लगे हैं. निरसा प्रखंड कार्यालय से मात्र कुछ दूर पिठाकियारी पंचायत की भी कमोबेश यही स्थिति है. गांव के लोग पिछले 15 साल से पेयजल की समस्या से परेशान हैं. पीठाकियारी गांव के ऊपर टोला में तो पेयजल की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है. इस टोले की आबादी लगभग सात हजार है. गांव में सरकारी चापाकल एवं निजी कुएं सूख गये हैं. लोगों को दिन भर पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है. पानी की समस्या से परेशान होकर शुक्रवार को ग्रामीण गोलबंद होकर पूर्व विधायक अरुप चटर्जी के कार्यालय पहुंचे और पानी की समस्या से निजात दिलाने की मांग की.
ग्रामीणों का कहना है कि मैथन डैम के पानी की आपूर्ति पाइप लाइन से धनबाद तक की जा रही है और हम पानी के लिए तरस रहे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें भी धनबाद जलापूर्ति पाइप लाइन से पानी मुहैया कराया जाए. लोगों ने कहा कि हालात ऐसे हो चुके हैं कि घर के जरूरी काम के लिए भी पानी नहीं मिल रहा है. दूर-दराज से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है. ग्रामीणों ने पूर्व विधायक अरुप चटर्जी से समस्या के समाधान की मांग की. पूर्व विधायक ने उन्हें आश्वस्त किया कि जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से वार्ता कर समस्या का समाधान कर दिया जाएगा.
15 साल से समस्या झेल रहे पीठाकियारी ऊपर टोला के लोग
सरकारी चापाकल बेकार, कुएं भी सूखे,जनप्रतिनिधि मौन हैं
निरसा प्रखंड कार्यालय से कुछ दूरी पर पीठाकियारी पंचायत के लोग विगत 15 साल से पेयजल की समस्या झेल रहे हैं. पीठाकियारी गांव के ऊपर टोला में तो समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है. इस टोली की सात हजार की आबादी को सरकारी चापाकल एवं निजी कुआं सूख जाने के कारण दिन भर पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है. गर्मी आते ही पानी की समस्या : शम्स आलम
शम्स आलम का कहना है कि गांव में पेयजल की समस्या कोई नई नहीं है. न प्रशासन और न ही जनप्रतिनिधियों पेयजल की कोई उचित व्यवस्था की गयी है. इस कारण गर्मी आते ही हमलोगों के सामने पानी की घोर समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसके स्थाई समाधान की जरुरत है.
सरकारी कुआं एकमात्र सहारा : समीर चक्रवर्ती
समीर चक्रवर्ती ने कहा कि गर्मी आते ही गांव पिठाकियारी सहित शहीद कॉलोनी में पेयजल की समस्या से लोग परेशान हो जाते हैं. घर में एक निजी कुआं है, वह भी सूख गया है. ऐसे में पानी के लिए निरसा स्वास्थ्य केंद्र स्थित सरकारी कुआं ही लोगों का एकमात्र सहारा है.
जल समस्या से हम सभी परेशान हैं: मो असलम
मो असलम खान को जनप्रतिनिधियों से शिकायत है. कहते हैं पानी की समस्या से किसी को भी कुछ लेना देना नहीं है. पिछले 15 वर्षो से हमलोग पेयजल की समस्या से परेशान हैं. सभी का दरवाजा खटखटाया, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला.
घंटों खड़ा रहने के बाद मिलता है पानी: मो आजाद
गांव के मो. आजाद ने कहा कि दिन भर घर के सभी सदस्यों को पानी के लिए निरसा स्वास्थ्य केंद्र स्थित सरकारी कुआं में लाइन लगानी पड़ती है. घंटों खड़ा रहने के बाद पीने के लिए थोड़ा पानी मिल पाता है. यह हमलोगों की दिनचर्या बन गयी है. पता नहीं यह समस्य कब खत्म होगी.
पानी के लिए कई बार लोग हुए दुर्घटना के शिकार: मो मुस्तफा
टोले के मो मुस्तफा कहते हैं कि गर्मी आते ही पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. बगल में खुदिया नदी है, जहां नहाने धोने का काम कर लेते हैं. लेकिन पीने के पानी के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जीटी रोड पार कर पानी लाना पड़ता है. कई बार लोग पानी के लिए सड़क दुर्घटना के शिकार भी हो चुके हैं. अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक चुप्पी साधे हुए है. क्या करें समझ में नहीं आता.