Ranchi: कांग्रेस ने झारखंड में उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी है. इसके बाद पार्टी में ही विरोध के स्वर उठ गए हैं. देवघर जिला और अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रीय नेतृत्व एवं प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. देवघर जिले ने जहां दीपिका सिंह पांडेय को सबसे कमजोर एवं डमी प्रत्याशी करार देते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर अविलंब प्रत्याशी बदलने की मांग की है. वहीं अल्पसंख्यक कांग्रेस ने मुस्लिम आबादी और उसके प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.
देवघर जिला कांग्रेस ने खड़गे को लिखा पत्र, पुनर्विचार करने की मांग
देवघर जिला कांग्रेस कमिटी ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर, गोड्डा संसदीय सीट से प्रत्याशी के नाम पर पुनर्विचार करने की मांग की है. जिला कमेटी का तर्क है कि पार्टी का निर्णय संगठन और धरातल के विपरित है. जिला कमेटी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहा है कि क्षेत्र की 90 फीसदी आबादी की अनदेखी की गई. जिला कमेटी का कहना है कि गोड्डा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 90 फीसदी आबादी पिछड़े, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की है.विरोध कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों का तर्क है कि दीपिका पांडेय सिंह यहां कमजोर और डमी कैंडिडेट साबित होंगी.
कमेटी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहा है कि दीपिका पांडेय सिंह की उम्मीदवारी से गोड्डा में पार्टी की पांच न्याय और 25 गारंटी के साथ-साथ आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी वाली घोषणा दिखावा सिद्ध हो रहा है. कमेटी ने तर्क दिया है कि प्रत्याशी की घोषणा से ऐसा लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व को धरातल की वास्तविक वस्तुस्थिति से अवगत नहीं कराया गया है. उन्हें गुमराह किया गया है. पार्टी के फैसले से 90 फीसदी आबादी में नाराजगी है.
इसे भी पढ़ें- संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, पाकिस्तान में भारी बारिश से बाढ़ के हालात, 68 लोगों की मौत
अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी की अनदेखी का लगाया आरोप
इधर, कांग्रेस ग्रामीण अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शमीम अख्तर ने लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने पर नाराजगी प्रकट की है. कहा कि राज्य बनने के बाद यहां के आदिवासी मूलवासी और विशेष कर मुसलमानो में एक उम्मीद की किरण जगी थी कि लोकसभा और विधानसभा में मुसलमान का प्रतिनिधित्व होगा. क्षेत्रीय पार्टियों ने तो मुसलमान को टिकट देकर अपना दामन साफ किया. लेकिन देश की सबसे बड़ी पार्टी जो सेक्युलर का दावा करती है. वो लोकसभा में मुसलमानों का प्रतिनिधत्व को उचित नहीं समझा और मुसलमानों के बीच एक संदेश दिया की वह भी भाजपा की राह में तुष्टिकरण की राजनीति करती है.
अख्तर ने कहा की कांग्रेस ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक समझा जब भी मुसलमानों की प्रतिनिधित्व एवं राजनीतिक भागीदारी की बात आती है तो कांग्रेस कन्नी काट लेती है. कांग्रेस लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न देकर अपनी कब्र स्वयं खोदी है. राज्य में 14 लोकसभा सीट है और इस राज्य में सबसे बड़ा धार्मिक और अल्पसंख्यक समूह मुस्लिम है. मुसलमान की जनसंख्या सरकारी आंकड़े के अनुसार, 15 प्रतिशत है. जबकि मुस्लिम बहुल साहिबगंज, गोड्डा, पाकुड़, गिरिडीह, जामताड़ा और देवघर है जहां मुसलमान की जनसंख्या 20 प्रतिशत से कहीं अधिक है. परंतु कांग्रेस पार्टी ने किसी भी जिला में मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया या मुसलमानो क़े प्रतिनिधित्व को उचित नहीं समझा. ब्राह्मवाद से घिरी कांग्रेस सदा अल्पसंख्यकों को धोखे में रखती और मुसलमानों को वोट बैंक समझती है. यही कारण है कि अधिकांश मुसलमानों का झुकाव क्षेत्रीय पार्टियों की ओर बढ़ा है.