Lagatar Desk: झारखंड में बालू की मिल रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए बीते बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि सरकार ने एक पोर्टल तैयार किया है. इसके माध्यम से झारखंड में ऑनलाइन माध्यम से जरुरतमंदों के घर बालू पहुंचेगा. लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण यह नियम अभी धरातल पर नहीं उतर सका है. वहीं दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण का फायदा उठाकर गोड्डा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक बालू घाटों पर इन दिनों धड़ल्ले से अवैध तरीके से ट्रैक्टर से बालू का उठाव हो रहा है. बालू माफिया जब चले जाते हैं. तब घाटों पर पुलिस टीम पहुंचती है. यह लुकाछिपी का खेल बालू घाटों पर कई महीनों से चल रहा है. ग्रामीणों ने कई बार पुलिस को जानकारी भी दी है.
खनन विभाग पुलिस का असहयोग व मैन पावर की कमी का रोना रोता है
ग्रामीँणों का कहना है कि इसकी शिकायत एसपी से भी की गई है. लेकिन एसपी खनन विभाग व सीओ को इसकी सूचना देने की बात कहते हैं. वहीं खनन विभाग पुलिस का असहयोग व मैन पावर की कमी का रोना रोता है. ऐसे में बालू माफियाओं का हौसला बुलंद है. वहीं स्थानीय पुलिस अपने रूटीन के हिसाब से ड्यूटी करती रहती है. खनन विभाग व पुलिस की लापरवाही से घाट बंका, सिंहवाहिनी स्थान के समीप सहित आधा दर्जन से अधिक घाटों पर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर से रोज अवैध तरीके से बालू की ढुलाई हो रही है.
ग्रामीणों ने आंदोलन की कही बात
ग्रामीणों का कहना है कि यदि खनन विभाग, पुलिस व प्रशासन द्वारा अवैध तरीके से बालू के उठाव को नहीं रोका गया. तो वे लोग आंदोलन को बाध्य होंगे. यदि इस दौरान किसी प्रकार की अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदारी पुलिस व प्रशासन की होगी.