- सरकारी विभागों में कुल स्वीकृत पद 01 लाख, इसमें 2.44 लाख सीधी नियुक्ति और 57,182 पद प्रोन्नति से भरे जाएंगे.
- तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय कमिटी ने मुख्यमंत्री और सीएस को सौंपी रिपोर्ट, जल्द वैकेंसी निकालेगा कार्मिक विभाग.
Ranchi : राज्य के कुल 34 विभागों में से 31 प्रमुख विभागों में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3.01 लाख (3,01,1980 है. इसमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं. जबकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाएंगे. यह बात तीन आईएएस अधिकारियों की बनी उच्चस्तरीय कमिटी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को सौंपी रिपोर्ट ने बतायी है. गुरुवार देर शाम मुख्यमंत्री आवास में अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, प्रधान सचिव वंदना डाडेल और सचिव केके सोन ने यह रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में झारखंड में सरकार की सेवाओं और पदों के अधीन प्रोन्नति, प्रशासनिक दक्षता और क्रीमी लेयर में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर एक अध्ययन शामिल है.
रिपोर्ट में निम्न बातों पर दिया गया है जोर
- 34 में से 29 विभागों ने कर्मचारियों की जाति श्रेणीवार संख्या सहित सीधी नियुक्ति या प्रोन्नति के आधार पर भरे गए पदों की कुल संख्या पर अपनी रिपोर्ट ऑफलाइन प्रस्तुत की है.
- 10 विभागों ने इन सेवाओं में प्रत्येक जाति वर्ग में कार्यरत कर्मचारियों की सेवा श्रेणीवार संख्या सहित रिपोर्ट प्रस्तुत की है.
- एचआरएमएस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 34 में 31 प्रमुख विभागों में राज्य में कुल स्वीकृत पदों की कुल संख्या 3,01,1 98 है. जिसमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाने हैं, जबकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाने हैं.
समिति की अनुशंसा
- समिति ने अपने अध्ययन रिपोर्ट ने आंकड़ा देकर बताया है कि सरकार में प्रत्येक स्तर पर प्रोन्नति वाले पदों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता है.
- कार्यरत कर्मचारियों की कुल संख्या से संबंधित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों का प्रतिशत क्रमशः 4.45 और 10.04 प्रतिशत है. जो राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (क्रमशः 12.08 प्रतिशत (एससी) और 26.20 प्रतिशत ( एसटी) के जनसांख्यिकीय अनुपात से बहुत कम है. चूंकि, राज्य की सेवाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर से काफी नीचे है, इसीलिए प्रोन्नति में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी रखना आवश्यक है.
- रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्तर पर वर्तमान प्रावधान में किसी भी प्रकार की ढील देना या किसी भी खंड को हटाना न्यायोचित या वांछनीय नहीं होगा और बड़े पैमाने पर सामुदायिक हितों के विरुद्ध होगा.
- झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) और कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग को भी एससी, एसटी, ओबीसी ने अनारक्षित श्रेणी के अंतर्गत योग्यता प्राप्त की है, इसकी जानकारी वर्षवार तथा श्रेणीवार विवरण के साथ रखने की आवश्यकता है.
- सभी विभागों द्वारा आरक्षण नीति और उसके प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए अधिक कठोर और निरंतर निगरानी रखने के लिए कार्मिक विभाग के अंतर्गत एक पृथक कोषांग बनाया जाना चाहिए.
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