LagatarDesk : सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (मेटा) और गूगल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है. अमेरिका के ‘द वॉल स्ट्रीट जनरल’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, Google पर विज्ञापनदाताओं और प्रकाशकों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया गया है. रिपोर्ट में स्टेट अटॉर्नी जनरल की ओर से दायर लीगल एफिडिफिट के अनुसार, Google ने अपने फायदे के लिए प्रकाशकों और विज्ञापनों को गुमराह किया.
सीक्रेट प्रोग्राम के कारण कुछ कंपनियों की सेल होती थी कम
लीगल एफिडिफिट के अनुसार, Google ने सालों तक विज्ञापन देने वालों और प्रकाशकों को धोखे में रखा. रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी की प्रक्रिया में कुछ सीक्रेट प्रोग्राम मौजूद रहे हैं. जिसकी वजह से कुछ कंपनियों की सेल कम दिखती है. इस वजह से विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन के बदले ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है. गूगल ने ऑनलाइन विज्ञापन बिक्री में हेरफेर करने के लिए फेसबुक के साथ मिलीभगत की.
इसे भी पढ़े : उत्तराखंड : BJP ने मंत्री हरक सिंह रावत को पार्टी से किया निष्काषित, कांग्रेस में होंगे शामिल
कीमतों में अंतर का सीधा फायदा Google को मिलता था
आपको बता दें कि पब्लिशर्स को दिखने वाली कीमत और विज्ञापन देने वालों को जो कीमत देनी होती है. दोनों में अंतर होता है. कीमतों में जो अंतर होता था इसका सीधा फायदा Google को होता था. रिपोर्ट की मानें तो Google इससे मिले पैसों का इस्तेमाल भविष्य में कीमतें बढ़ाने और मार्केट में मोनोपॉली कायम करने के लिए करती रही. Google और फेसबुक के सीईओ को इस समझौते के बारे में पता था और उन्होंने इस पर साइन भी किये थे.
इसे भी पढ़े : 83 साल में कथक सम्राट पंडित बिरजू महाराज का निधन, हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में हुए थे भर्ती
जुकरबर्ग से ईमेल के जरिये किया गया था सौदा
मुकदमे के अनुसार, फेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने 2018 में सिलसिलेवार ईमेल के जरिए बातचीत में स्पष्ट किया था कि यह रणनीतिक रूप से एक बड़ा सौदा है. इस सौदे में फेसबुक के सीईओ भी शामिल थे. मुकदमे में फेसबुक के अधिकारियों के नाम अब भी संशोधित किये जा रहे हैं. जब दोनों पक्षों ने समझौते की शर्तों पर सहमति बना ली. तब टीम ने सीधे सीईओ जुकरबर्ग को संबोधित कर एक ईमेल भेजा. ईमेल में लिखा गया था ‘हस्ताक्षर करने के लिए लगभग तैयार हैं और आगे बढ़ने के लिए आपकी स्वीकृति की आवश्यकता है.