Dr. Santosh Manav
क्या जैन संतों की कठोर वाणी ने केंद्र की सरकार को झुका दिया? जैन संत न सिर्फ केंद्र की सरकार वरन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद को भी कोस रहे थे. सरकार गिराने, सबक सीखाने की बात कर रहे थे. हिंदुत्व की व्यापकता पर सवाल खड़े कर रहे थे. इस साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित नौ राज्यों में चुनाव है. ऐसे में संतों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ती. संभवतः इसीलिए केंद्रीय पर्यटन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शिखरजी में नरमी के साथ कड़े कदम की घोषणा कर दी. उस क्षेत्र में मांसाहार, शराब, ट्रैकिंग, लाउडस्पीकर आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जैन संत खुलकर और नाम लेकर सम्मेद शिखरजी विवाद पर हिंदू संगठनों और हिंदू नेताओं की चुप्पी पर सवाल खड़े कर रहे थे. तीखे प्रवचन के लिए ख्यात पुलक सागरजी का प्रवचन तो सोशल मीडिया पर अब भी वायरल है. जैन संतों के प्रवचन प्रसारित करने वाले यू ट्यूब चैनलों पर पुलक सागरजी का प्रवचन खूब सुना जा रहा है.
प्रवचन में पुलक सागरजी कह रहे हैं :’’ हमने उन्हें नोट दिया, वोट दिया, सपोर्ट दिया और वे ही हमारे सर्वोच्च धार्मिक स्थल पर चुप हैं.’’ वे कह रहे हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) के सरसंघचालक भागवतजी एक बार दिल्ली में मिलने आए थे. कह रहे थे कि हम जैनियों को अल्पसंख्यक का दर्जा स्वीकार नहीं करेंगे. वे तो हमारे ही अंग हैं. जैन हिंदू ही हैं. उन्हें अपने से अलग नहीं कर सकते. अब भागवतजी चुप क्यों हैं? कहां है विश्व हिंदू परिषद? एक और संत विनम्र सागरजी प्रवचन में कह रहे हैं कि हम सत्ता उखाड़ देंगे. वायरल वीडियो में वे व्यंग्य भरे शब्दों में कह रहे हैं कि शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने की बात करने वाला हिंदू और रामभक्त नहीं हो सकता. उसका खून मिलावटी होगा. वे यह सवाल भी खड़ा कर रहे हैं कि अमरकंटक, चित्रकूट पुण्यनगरी तो शिखरजी क्यों नहीं? सुधा सागरजी नामक संत कह रहे हैं कि हम सत्ता बना नहीं सकते, हटा जरूर सकते हैं.
पुलक सागरजी तो इतने नाराज थे कि प्रवचन के दौरान ही माला छोड़कर, भाला उठाने की बात कह रहे हैं. तराजू त्यागकर तलवार उठाने की बात कह रहे हैं. वे कह रहे हैं कि राम मंदिर के लिए हम भी लड़े. रामसेतू के लिए लड़े. हिंदू मंदिर टूटता है, तो हम दुखी होते हैं. आरएसएस के कार्यक्रमों में उनकी प्रतिष्ठा के लिए शामिल होते हैं. मोदी की सरकार तो जैन खुश. राम मंदिर बने तो जैन खुश और आज? हिंदुत्व के लिए एक-एक जैन समर्पित और उनकी ही आस्था से खेलवाड़? पुलक सागरजी जैन युवकों से जैन सेना और जैन आर्मी बनाने की बात कह रहे हैं. वे क्रोध से गरज रहे हैं कि चाहे मुगल हों, यवन हों या अंग्रेज, किसी ने शिखरजी की ओर नहीं देखा पर हिंदुत्व को समर्पित सरकार ने क्या हाल कर दिया? जैन संत ने केंद्र और राज्य की सरकार को चेतावनी दी है कि कुछ भी हो जाए, शिखरजी को पर्यटन स्थल नहीं बनने देंगे.
कौन हैं जैन
ज्ञात हो कि महाराजा अग्रसेन के पुत्र श्रृषभदेव को जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है. वे ही जैनियों के 24 तीर्थंकरों में से पहले माने जाते हैं. अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर हैं. तीर्थंकर को सामान्य बोलचाल की भाषा में धर्मगुरू कह सकते हैं. पुराण में श्रृषभदेव को भगवान विष्णु का अवतार बताया गया है. जैनियों की आबादी भारत में आधा प्रतिशत से भी कम है. पर उनमें साक्षरता दर 95 प्रतिशत है. देश को मिलने वाले आयकर में इस समाज की भागीदारी 24 प्रतिशत है. शासन-प्रशासन, शिक्षा और व्यापार में बड़ी भागीदारी है. जैन धर्मावलंबी बीजेपी समर्थक माने जाते हैं.