Ranchi : पिछड़ों के वाजिब हक-अधिकार की मांग को लेकर सामाजिक न्याय मार्च पर निकले निहत्थे कार्यकर्ताओं पर हुए बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज ने हेमंत सरकार के असली चेहरे को उजागर कर दिया है. झामुमो महागठबंधन की सरकार पिछड़े की विरोधी है और लाठी-डंडे और केस-मुकदमों के दम पर उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रही है. उक्त बातें आजसू पार्टी केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता देवशरण भगत ने कहीं.
देवशरण भगत ने आगे कहा कि शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को लेकर मार्च कर रहे निहत्थे कार्यकर्ताओं पर सरकार पहले अंधाधुंध लाठियां चलवाती है और फिर उन्हीं पर मुक़दमा भी दर्ज करवाती है. यह पूरा घटनाक्रम किसी फिल्मी पटकथा से कम प्रतीत नहीं होता, जिसमें षड्यंत्र रचने वाला पर्दे के पीछे से पूरा स्क्रिप्ट लिख रहा है और झारखंड पुलिस उस स्क्रिप्ट का अक्षरशः अनुपालन कर रही है. चुनावी नारों और मेनिफेस्टो में पिछड़ों के लिए बड़ी-बड़ी बातें करनेवाली पार्टी को आजसू पार्टी ने स्मरण पत्र के जरिये उन वादों-नारों को याद करवाया और सरकार बौखला गयी. इस पूरे घटनाक्रम ने सरकार के दोहरे चरित्र का पर्दाफाश कर दिया है.
इसे भी पढ़ें- मोदी के नेतृत्व में अंत्योदय और आत्मनिर्भर भारत का संकल्प पूरा होगा- दीपक प्रकाश
सरकार की कथनी और करनी में फर्क है
झामुमो महागठबंधन सरकार की कथनी और करनी में फर्क है, लेकिन आजसू पार्टी पिछड़ों की हकमारी अब और नहीं होने देगी. सामाजिक न्याय मार्च तो बस एक शुरुआत है. आरक्षण महज गरीबी उन्मूलन या आर्थिक सुधार योजना नहीं है. यह देश और राज्य में समानुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था है. जबतक सामाजिक न्याय झारखंड के पिछड़ों, नौजवानों और महिलाओं को नहीं मिल पाएगा, तब तक वे खुद को उस स्तर तक स्थापित नहीं कर पाएंगे, जहां उनका हक है. पिछड़ों के मुद्दे पर आजसू पार्टी और मुखर होगी और एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व करेगी.