Ranchi : राज्यभर के लगभग 8000 अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. नर्सें भी हड़ताल पर हैं. इससे पूरे राज्य में चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हो गई है. अस्पतालों से बिना इलाज कराए कई मरीज लौट रहे हैं. अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी हड़ताल पर इसलिए चले गए हैं क्योंकि वर्तमान की हेमंत सरकार ने सत्ता संभालते ही कहा था कि तीन महीने में इन कर्मियों का समायोजन किया जाएगा. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई. अब ये कर्मी अनशन से पहले घेराव करेंगे. इसके बाद अनुबंध कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. अनुबंध पारा चिकित्सा कर्मी संघ ने पारा मेडिकल नियमावली 2018 में थोड़ा संशोधन करते हुए स्वास्थ्य विभाग के सभी पारा मेडिकल कर्मियों को वर्ष 2014 की तरह विभागीय समायोजन की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने की मांग की थी, मगर ये पूरी नहीं हुई. इसको लेकर संघ फिर आंदोलन शुरू कर चुका है. इसके बावजूद मांग नहीं पूरी होती है तो 24 जनवरी से आमरण अनशन करने का निर्णय भी लिया गया है. इनके आंदोलन को झारखंड अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, ऑल झारखंड पारा मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड राज्य फिजियोथेरपिस्ट एसोसिएशन का भी समर्थन प्राप्त है. हड़ताल के पहले दिन ही स्वास्थ्य सेवाओं पर असर नजर आ रहा है. शुभम संदेश की टीम ने हड़ताल को लेकर राज्यभर के अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मियों से बात की और चिकित्सा सेवा पर कितना असर पड़ा, इसका जायजा लिया. प्रस्तुत है विस्तृत रिपोर्ट :
अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मियों का आंदोलन हुआ तेज
राजभवन धरनास्थल पर टेंट लगा कर रहे प्रदर्शन, हड़ताल से मरीजों का इलाज प्रभावित
अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ व एनआरएचएम एएनएम/जीएनएम संघ के संयुक्त बैनर तले राजभवन के समक्ष टेंट बनाकर डेरा डाल दिया है. राज्य के सभी जिले से आए पारा चिकित्साकर्मी एकजुटता के साथ हेमंत सरकार से नियमित करने की मांग पर डटे हुए हैं. गौरतलब है कि 16 जनवरी को राज्यभर के पारा चिकित्सकों का जुटान मोरहाबादी मैदान में हुआ. यहां से पदयात्रा करते हुए राजभवन के समक्ष पहुंचे. प्रदर्शनकारियों ने आक्रमक रुख अख्तियार करते हुए बैरिकेडिंग को तोड़ कर सूचना भवन पहुंच सड़क को जाम कर दिया था. हालांकि, प्रशासन ने ओएसडी से वार्ता के लिए पांच लोगों के प्रतिनिधिमंडल भेजने की बात कही थी, लेकिन संघ के सदस्य तैयार नहीं हुए. वे मुख्यमंत्री से बात करने पर अड़े हुए थे. वहां से लौटकर राजभवन के समक्ष संघ के सदस्यों ने जनसभा की और यहीं से आंदोलन की शुरुआत हुई. अनुबंधित पारा चिकित्सकों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया है. सोमवार की शाम से ही रांची जिले में भी अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी ने कार्य ठप कर दिया है.
हजारीबाग :
स्थायी सेवा के लिए हड़ताल पर गए स्वास्थ्यकर्मी सरकार के खिलाफ नारेबाजी
स्थायी सेवा की मांग को लेकर जिलेभर के अनुबंध आधारित स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. झारखंड अनुशासित पारा चिकित्सा कर्मी संघ के आह्वान पर सभी अनुबंध आधारित सेवा दे रहे चिकित्साकर्मियों ने मंगलवार को सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हड़ताल पर बैठे अनुबंध आधारित सेवा दे रहे चिकित्साकर्मियों ने कहा कि सेवा स्थायी होने तक सभी हड़ताल पर रहेंगे. साथ ही उनकी सेवा समायोजित कर सरकार उनलोगों को वेतनमान दे. जिले में करीब 1500 अनुबंध आधारित चिकित्साकर्मी हड़ताल पर हैं. इनमें एएनएम, जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट आदि शामिल हैं.
हमारे अच्छे कामों की अनदेखी कर रही राज्य सरकार
दुमका जिले से आयीं एएनएम कुसुम कुमारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ का पूर्ववर्ती सरकार और वर्तमान सरकार दोहन कर रही है. झारखंड को स्वस्थ बनाने में हम सब लोग मिलकर अहम भूमिका निभाते हैं. बावजूद इसके हमारे काम को अनदेखा किया जा रहा है और हम लोगों को नियमित नहीं किया जा रहा है.दुमका जिले से आयीं एएनएम कुसुम कुमारी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ का पूर्ववर्ती सरकार और वर्तमान सरकार दोहन कर रही है. झारखंड को स्वस्थ बनाने में हम सब लोग मिलकर अहम भूमिका निभाते हैं. बावजूद इसके हमारे काम को अनदेखा किया जा रहा है और हम लोगों को नियमित नहीं किया जा रहा है.
इतने अल्प मानदेय में परिवार का नहीं होता है गुजारा
धनबाद जिले से आयीं एएनएम नमलेन बडिंग ने कहा कि कोरोना जैसी विषम परिस्थिति में काम कर संक्रमित हुए. काम का सम्मान नहीं किया जा रहा है. पिछले 14 सालों से अनुबंध पर काम कर रहे हैं. अल्प मानदेय में परिवार का गुजारा नहीं होता है. अब हमें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार की योजनाओं को हम ही धरातल पर लाते हैं
पलामू जिले से आयीं एएनएम विनीता कुमारी ने कहा कि सरकार की हर एक योजनाओं को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर हैं, लेकिन हमारी जिम्मेदारी सरकार नहीं ले रही है. स्वास्थ्य संबंधी सभी कल्याणकारी योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाने का काम करने के बाद भी हमारी अनदेखी हो रही है.
मंत्री के आश्वासन के बाद भी नहीं किया गया स्थायी
गढ़वा से आयीं एएनएम संगीता कुमारी ने कहा कि पूर्व में भी स्वास्थ्य मंत्री द्वारा नियमित करने का आश्वासन दिया गया था. बावजूद इसके कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है. बाध्य होकर हम सभी को हड़ताल करना पड़ा है. इस बार हमलोग आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं, क्योंकि ये हमारे भविष्य की बात है.
अब तो हमारा जीवन सिर्फ कर्ज में बीत रहा है
दुमका से आये लैब टेक्नीशियन रामसुहाग सिंह ने कहा कि जितना पैसा सरकार हमें देती है, वह बहुत कम है. बच्चों की पढ़ाई, परिवार का भरण पोषण और बीमारी में इस पैसे से कुछ नहीं होता है. जीवन कर्ज लेकर बीत रहा है. ऐसा काम करके क्या फायदा है. सरकार जल्द हमारी मांगों को पूरा करे.
अपने जीवन का स्वर्णिम समय स्वास्थ्य विभाग को दिया
लातेहार जिले से आए लैब टेक्नीशियन विनय कुमार सिंह ने कहा कि अपने जीवन का स्वर्णिम समय स्वास्थ्य विभाग को दिया है. अब हम सब कहां जाएंगे, यह समझ में नहीं आता है. तन-मन से विभाग को अपनी सेवा दी है. संकट में साथ सरकार का साथ दिया है. सरकार हमें नियमित करें नहीं तो हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
क्या हमारी जान और मांग की कोई कीमत नहीं है
गोड्डा से आयी चंदा कुमारी ने कहा कि कोरोना के दौरान हमारे कई साथियों की असमय मौत हो गई, लेकिन सरकार ने उन्हें मुआवजा तक नहीं दिया, यह विडंबना नहीं तो और क्या है. जान जोखिम में डालकर काम करने वालों की जान की कोई कीमत नहीं है. हमारे मान का भी ख्याल रखे सरकार.
वैक्सीनेशन के लिए जाते वक्त एक सहयोगी की हो गई थी मौत
गुमला से आयी सुनीता कुजूर ने कहा है कि वैक्सीनेशन के दौरान हमारी एक सहयोगी की मौत हो गई थी, लेकिन सरकार ने सुध नहीं लिया. किसी प्रकार की कोई मुआवजा राशि तक नहीं दी गई. दुख होता है कि हमारी अहमियत इस सरकार में कितनी है.
पूर्व में कर्मियों को किया गया समायोजित, हमारी भी हो
गुमला से आयीं मोनिका कंडुलना ने कहा कि पारा मेडिकल कर्मियों का संचिका संख्या 10 पारा मेडिकल 7 जुलाई 2012 रांची ( 30.01.2014) नियमावली द्वारा समायोजन किया गया है. उसी तर्ज पर हम सभी का समायोजन किया जाए. हम इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे.
सरकार जितना पैसा देती है, उससे गुजारा नहीं होता
रांची की मोनिका पॉल ने कहा कि हमारी एक ही मांग है कि समान काम के बदले हम सभी को समान वेतन का भुगतान किया जाए. बढ़ती महंगाई में जितना पैसा सरकार के द्वारा दिया जाता है, इससे परिवार का गुजारा नहीं हो रहा है. सरकार हमारी मांगों पर जल्द माने और हमें राहत पहुंचाए.
नौनिहालों को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर
रामगढ़ से आयीं मीरा कुमारी ने कहा कि सप्ताह में अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण के लिए जाना पड़ता है. उसमें भी किराया खर्च होता है. झारखंड के नौनिहालों को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है, लेकिन हम चिकित्साकर्मियों की तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं है.
ठंड में खुले आसमान के नीचे आंदोलन करना हमारी मजबूरी
लातेहार से आयीं अरुणा टोप्पो ने कहा कि हम सभी की एकजुटता हमारी सबसे बड़ी ताकत है. अपने घर परिवार को छोड़कर ठंड में खुले आसमान के नीचे अपने हक के लिए आंदोलन करना हमारी मजबूरी है. हम सभी झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को ठप करना नहीं चाहते थे, लेकिन सरकार हमारी मांगों को अनसुना कर रही है.
जब तक नहीं पूरी होगी मांग, धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा
अनुबंधित पारा चिकित्सा कर्मी संघ के राज्य सचिव नवीन गुप्ता ने कहा कि हमारा धरना राजभवन के समक्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक राज्य सरकार हमारी मांगों को नहीं मान लेती है. अब तक सरकार के स्तर से धरना खत्म करने को लेकर कोई पहल नहीं की गई है. लेकिन हमारा आंदोलन जारी रहेगा.
अनुबंध कर्मचारियों की हड़ताल से अस्पताल पर असर
धनबाद के एएनएमएमसीएच के अधीक्षक अरुण कुमार बरनवाल ने बताया कि स्थायीकरण की मांग को लेकर एएनएमएमसीएच के 22 अनुबंध कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. अस्पताल के कामकाज पर असर पड़ा है. एक्स-रे, टीवी, फार्मेसिस्ट लैब टेक्नीशियन सहित कई विभाग से मरीजों को बैरंग लौटना पड़ा है. लेकिन मामला राज्य सरकार का है.
अनुबंधित कर्मचारियों के साथ खेलवाड़ बंद करे सरकार
धनबाद के एनआरएचएम कर्मचारी विवेकानंद प्रसाद का कहना है कि सरकार हम अनुबंध कर्मचारियों के साथ खेलवाड़ कर रही है, जो सरासर गलत है. विगत 15 वर्षों से हम अल्प मानदेय पर काम कर रहे हैं. इससे परिवार चलाना काफी मुश्किल हो रहा है. कोरोना काल में भी आंदोलन किया था. उस वक्त महामारी का प्रकोप दिखाकर और दिग्भ्रमित कर आंदोलन को समाप्त करा दिया गया. अब मांगों को मानना ही होगा.
वादा करके भूल गए सीएम, परिवार चलाना मुश्किल
एसएनएनएमएमसीएच के टीबी विभाग में कार्यरत एनआरएचएम कर्मचारी सुशांत कुमार का कहना है कि सीएम वादा कर भूल गए हैं. सरकार को सोचना चाहिए. हमें नियमित करना चाहिए. आज अनुबंध कर्मचारी के तौर पर 19 वर्ष बीत गए हैं, लेकिन हमारा स्थायीकरण नहीं किया गया. यही हाल रहा तो पूरा परिवार सड़क पर आ जाएगा.
15 वर्ष बाद स्थायीकरण ना होना दुखद, सरकार शीघ्र ध्यान दे
रवि राज के अनुसार 15 वर्ष बाद भी स्थायीकरण ना होना दुख की बात है. सरकार ने चुनाव घोषणा पत्र में भी हमें नियमित करने का जिक्र किया था. मगर चुनाव समाप्त होने के बाद सरकार घोषणाओं को भूल जाती हैं. आज से अपने विभाग को विराम दे दिया है. तमाम काम आज से बंद है. 18 जनवरी से एनआरएचएम, एनएम, जीएनएम समेत तमाम सदस्य सीएस कार्यालय के समक्ष धरना पर बैठेंगे.
राज्य सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक
कोरोना काल में अपनी अहम भूमिका निभा रहे फ्रंटलाइन वर्कर के प्रति सरकार का रवैया निराशाजनक है. कोरोना जैसी गंभीर परिस्थिति में भी हम अपनी सेवा देते रहे और झारखंड को सुरक्षित रखा. बावजूद सरकार कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं कर रही है. सरकार जब तक मांगों को नहीं मानती है, आंदोलन जारी रहेगा.
हड़ताल के कारण इलाज नहीं हुआ, वापस लौटना पड़ा
अपनी पत्नी की टीबी जांच के लिए तोपचांची से आये मोहम्मद शमीम को घर लौट जाना पड़ा. वह बताते हैं कि उनकी पत्नी को पिछले 3 महीनों से लगातार खांसी हो रही है. डॉक्टरों की जांच के बाद उन्हें टीबी की जांच कराने को कहा गया. इसी उद्देश्य से धनबाद के एसएनएमएमसीएच पहुंचे. लेकिन कर्मचारी आज हड़ताल पर चले गए हैं, इसीलिए उन्हें बिना टेस्ट कराएं वापस लौटना पड़ा.
कोशिश है कि इलाज प्रभावित नहीं हो
सिविल सर्जन एसपी सिंह ने कहा कि कोशिश है कि इलाज प्रभावित नहीं हो. वैसे अनुबंध पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हुई है. वैकल्पिक व्यवस्था आसान नहीं है. ऐसे में हड़ताली कर्मियों से ही मानवीय संवेदनाओं की दुहाई देते हुए चिकित्सा सेवा में सहयोग का आग्रह किया गया है. इलाज चल रहा है. हालांकि कई मरीज लौट भी रहे.
हर पल नौकरी से हटाने का सताते रहता है भय
जीएनएम सुनीता कुमारी कहती हैं कि सेवा स्थायी नहीं होने से हर पल नौकरी से हटाने का भय सताता रहता है. 18 साल के बाद भी सरकार ने सेवा स्थायी नहीं की है. गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं. हर सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. काम के अनुरूप वेतन भी नहीं मिलता है. ऐसे में आंदोलन ही एकमात्र विकल्प बचा है. आंदोलन शुरू हो चुका है.
15 साल से नौकरी कर रहे, अब तो सेवा स्थायी हो
सिविल सर्जन ऑफिस के गेट के सामने हड़ताल पर बैठे टेक्नीशियन शमशूद हुसैन कहते हैं कि 15 साल से नौकरी कर रहे हैं. अब तो सरकार सेवा स्थायी करे. वर्षों से लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एएनएम, जीएनएम सभी अनुबंध पर काम कर रहे हैं. उनलोगों की बस एक ही मांग है सेवा स्थायी हो और समायोजन हो.
सेवा स्थायी हो और उचित सैलेरी दे सरकार
एएनएम विनीता कुमारी कहती हैं कि सरकार सेवा स्थायी करे और मानदेय की जगह सैलेरी मिले. इसी आस में 15 वर्ष गुजर गए. सब काम हो रहा है, तो फिर सरकार को सेवा स्थायी करने में क्या जाता है. कब तक वे लोग अनुबंध पर काम करेंगी. नौकरी कब सुरक्षित होगी, इसको लेकर हमेशा संशय बना रहता है. शायद आंदोलन से कुछ हल निकले.
जबतक मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन जारी रखेंगे
एएनएम सविता कुमारी कहती हैं कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. गुहार लगाते-लगाते वर्षों बीत गए. अब धैर्य जवाब दे रहा है. ऐसे में सरकार ने आंदोलन के सिवाय कोई विकल्प नहीं छोड़ा है. अनुबंधकर्मियों के प्रति सरकार कभी गंभीर नहीं है. बस काम लेने से मतलब है. सरकार को उनलोगों का परिवार कैसे चले, इसकी फिक्र नहीं है.
फिर से आंदोलन करना चिकित्सा कर्मियों की मजबूरी
एएनएम खुशबू कुमारी कहती हैं कि आंदोलन करना उनलोगों की मजबूरी है. सरकार ने कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा है. जब तक उनलोगों की मांगें पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन करते रहेंगे. सरकार से गुहार लगाने से अब तक कोई फायदा नहीं हुआ. आज भी अस्थायी सेवा का दंश झेल रही हैं. काम में जब कोई कमी नहीं है, तो सेवा स्थायी क्यों नहीं की जाती है.
10 साल से लगन से काम कर रहे हैं: अमर ज्योति
कर्मी अमर ज्योति ने बताया कि हम लोग प्रायः सभी लोग लगातार 10 वर्षों से काम करते आ रहे हैं. हर संकट में लगन के साथ अपनी ड्यूटी निभायी है. समान काम समान वेतन की तर्ज पर हमलोगों का वेतन भी बढ़ना चाहिए. आखिर हम कब तक इतने कम पैसे में काम करते रहेंगे. साथ ही कब तक अस्थायी तौर पर काम करते रहेंगे. इसलिए स्थायीकरण को लेकर हम सभी कर्मी धरने पर बैठे हैं.
सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही : आरती
कर्मी आरती कुमारी ने कहा कि 2007 से ही हम लोग कार्यरत हैं. 15 वर्षों से एएनएम-जीएनएम में काम कर रहे हैं. पर स्थायीकरण को लेकर अभीतक सरकार कोई पहल नहीं कर रही है. हमलोगों को स्थायी नहीं कर राज्य सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. सोचते है कि अगर हमें कुछ हो जाएगा, तो परिवार का क्या होगा. वहीं जब स्थायी कर्मचारियों के साथ कुछ होता है तो उनके बच्चे और परिवार सुरक्षित होते हैं. उनकी जगह उनके परिवार में किसी को नौकरी मिलती है, लेकिन अस्थाई कर्मचारियों के साथ ऐसा नहीं होता है.
सरकार हमारा शोषण कर रही है : मंजू टुडू
कर्मी मंजू टुडू कहती हैं कि देवघर सदर अस्पताल में हम लोग अनुबंध कर्मियों को लगातार सरकार द्वारा शोषण का सामना करना पड़ रहा है. हमलोगों को स्थायी किया जाए अन्यथा 24 जनवरी से लगातार धरने पर बैठे रहेंगे. इसकी पूरी जिम्मेवारी राज्य सरकार की होगी. आखिर हम कब तक ऐसी हालत में अपनी सेवा देते रहेंगे. अपने भविष्य के लिए हमें खुद आगे आना ही होगा, आवाज बुलंद करनी होगी. इसलिए आज हम सभी लोग एकजुटता के साथ आंदोलन कर रहे हैं.
सरकार वादा करके पीछे हट रही है : आशा कुमारी
कर्मी आशा कुमारी का कहना है कि सरकार हम लोगों को सीधे समायोजन करे अन्यथा हम लोग बड़े आंदोलन पर जाएंगे. 24 जनवरी के बाद धरने पर बैठेंगे. ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सालों से हमलोगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. हर बार वादा करके सरकार पीछे हट जा रही है. ऐसे में हमारा भविष्य अंधकार में जा रहा है. हमने अपने सुनहरे साल इस सेवा में गुजार दिए हैं. अब हमें अपना हक किसी भी हाल में लेना ही होगा. सरकार को इस पर जल्द कोई फैसला लेना ही होगा.
कर्मियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा व्यापक असर
झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ और एएनएम-जीएनएम संघ अपनी नियमितीकरण की मांग को लेकर मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इनमें चांडिल के करीब 70 अनुबंध चिकित्साकर्मी शामिल हैं. इसमें एएनएम, जीएनएम, पैथोलॉजिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन व अन्य कर्मचारी हैं. अनुबंधकर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद चांडिल अनुमंडलीय अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में चिकित्सीय जांच व्यवस्था चरमरा गई है. वहीं हड़ताल को देखते हुए विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था की गई है और स्थायी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं.
वैक्सीनेशन और जांच प्रभावित
अनुबंधकर्मियों की सामूहिक हड़ताल पर जाने से चांडिल अनुमंडल क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में वैक्सीनेशन का काम पूरी तरह से ठप पड़ गया है. वहीं, अस्पतालों में कोई भी जांच नहीं हो पा रहा है, जिससे मरीज के साथ उसके परिजन भी परेशान हो रहे हैं. अस्पतालों को छोड़कर फील्ड के सारे काम ठप हो गए हैं. कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद चांडिल स्थित कुपोषण उपचार केंद्र में एकमात्र नर्स ड्यूटी पर हैं. एक नर्स के सहारे 24 घंटे मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं दे पाना असंभव है. चांडिल प्रखंड के चावलीबासा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रसव गृह में एकमात्र नर्स रह गई है.
फील्ड के कार्यों में पड़ा व्यवधान
अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर एचएस शेखर ने बताया कि अनुबंधकर्मियों के हड़ताल पर जाने का चिकित्सा व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ रहा है. फिलहाल स्थायी व आउटसोर्स कर्मियों से काम लिया जा रहा है. हड़ताल के दौरान अस्पतालों को छोड़ फील्ड का सारा काम ठप पड़ गया है. अस्पतालों में स्थायी और आउटसोर्स कर्मियों के बदोलत काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि चावलीबासा स्थित प्रसव गृह में दो अतिरिक्त नर्सों को भेजा गया है, जिससे वहां का काम प्रभावित ना हो.
मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे सरकार : संघ
अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ और एएनएम-जीएनएम संघ ने सरकार से उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आग्रह किया है. संघ का कहना है कि 10-15 वर्ष से लोग स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध के आधार पर सेवा दे रहे हैं. अब तक उन्हें नियमित नहीं किया गया है. जबकि अनुबंधकर्मियों के स्थायीकरण की बात सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल था.