Ranchi : झारखंड में मदिरा (शराब) के कुल 75 रिटेल और थोक गोदाम (वेयरहाउस) स्थित है. राज्य सरकार इसे कम कर सकती है. शराब नीति को लेकर नियुक्त किये गये परामर्शी छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड ने गोदाम की संख्या को कम करने का सुझाव राज्य सरकार को दिया है. इसके अलावा सभी वेयरहाउस/गोदाम का संचालन झारखंड राज्य वेवरेजेज कॉर्पोरेशन (JSBCL) को करने का भी सुझाव परामर्शी कंपनी ने दिया है, ताकि इन प्रतिष्ठानों से अवैध मदिरा परिवहन की कोई संभावना न रहे. विभागीय मंत्री ने सचिव और अधिकारियों को मिले सुझाव पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. बता दें कि राज्य में शराब से किस तरह राजस्व में वृद्धि हो, इसके लिए उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को परामर्शी नियुक्त किया गया है.
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उत्पाद मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मिला सुझाव
सोमवार को उत्पाद मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में परामर्शी ने एक प्रेजेंटेशन दिया. परामर्शी ने झारखंड उत्पाद अधिनियम – 1915 और यथा संशोधित अधिनियम- 2015 में के कई धाराओं में संशोधन का परामर्श दिया गया है, ताकि अवैध मदिरा के निर्माण, परिवहन, क्रय, विक्रय, सेवन, आदि के संबंध में सख्त कानून लाया जा सके.
जानें, क्या-क्या मिला सुझाव
- झारखंड शराब का भंडार एवं थोक बिक्री नियमावली- 2021 के संदर्भ में यह बात सामने आयी कि वर्तमान में विभिन्न जिलों में रिटेल और थोक गोदाम की संख्या कुल 75 हैं. इतनी अधिक संख्या में गोदाम के सतत् निगरानी रखना चुनौतीपूर्ण कार्य है. इसे देखते हुए गोदामों की संख्या कम किया जाना चाहिए.
- झारखंड उत्पाद (शराब की बिक्री हेतु दुकानों की बंदोबस्ती एवं संचालन) नियमावली- 2018 के तहत छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों के तर्ज पर राज्य सरकार के गहन नियंत्रण में प्राइवेट एजेंसी द्वारा दुकानों के संचालन किया जाये.
- झारखंड उत्पाद (देशी शराब निर्माण, बॉटलिंग और भंडारण) नियम- 2018 के तहत पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से पेट/प्लास्टिक बॉटल की जगह पे-शीशे के बॉटल इस्तेमाल किया जाये.
- देसी शराब की खपत में वृद्धि करने की दिशा में मदिरा के स्ट्रेंथ, साइज और दरों के विषय पर संशोधन किया जाये. इन संशोधन से अवैध जावा, महुआ, चुलाई, आदि मदिरा निर्माण पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा.
- बार लाइसेंस नीति में सुधार जरूरी है, ताकि शराब भंडारण का अवैध इस्तेमाल कर राजस्व हानि की कोई संभावना न रहे.
- वर्तमान उत्पाद ड्यूटी व्यवस्था में भी कई सुझाव मिले. जो कि थोक और खुदरा दुकानों पर लैंडिंग प्राइस को कम करने से संबंधित है. इन संशोधन से बिना मदिरा के एमआरपी दर में कोई परिवर्तन किए राजस्व में भी वृद्धि सुनिश्चित किया जा सकेगा और लैंडिंग दर कम होने से अवैध मदिरा निर्माण कार्य में भी स्वतः कमी आएगी.
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