NewDelhi : गोवा सरकार के सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की. इसके बाद कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों के लिए अहम फैसला लेते हुए कहा कि राज्य सरकार के अंतर्गत कोई भी पद संभाल रहा व्यक्ति चुनाव आयुक्त नहीं बन सकता है. कहा कि राज्य सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त नियुक्त करना भारत के संविधान के खिलाफ है.
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राज्य चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र शख्स होना अनिवार्य
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों के लिए अपने आदेश में यह बात स्पष्ट कर दी कि राज्य चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र शख्स होना अनिवार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी करने वाला या उससे जुड़ा कोई व्यक्ति राज्य के चुनाव आयुक्त के तौर पर काम नहीं कर सकता. यह जिम्मेदारी एक स्वतंत्र व्यक्ति द्वारा संभाली जानी चाहिए.
कोर्ट के अनुसार राज्य सरकार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त नियुक्त करना भारत के संविधान के खिलाफ है. बता दें यह फैसला गोवा सरकार की अपील पर आया है जो उसने पंचायत चुनाव पर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर की थी.
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राज्य निर्वाचन आयोग के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करे
सुनवाई के क्रम में पीठ ने कहा कि चुनाव आयुक्त स्वतंत्र व्यक्ति होने चाहिए और कोई भी सरकार अपने अधीन किसी कार्यालय में काम करने वाले व्यक्ति को चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त नहीं कर सकती है.
न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने गोवा राज्य निर्वाचन आयोग को यह निर्देश भी दिया कि आज से दस दिन के भीतर वह पंचायत चुनावों के लिए अधिसूचना जारी करे और चुनाव प्रक्रिया 30 अप्रैल तक पूरी करे.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संविधान के तहत यह राज्य का कर्तव्य है कि वह राज्य निर्वाचन आयोग के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करे. जान लें कि गोवा सरकार द्वारा अपने विधि सचिव को राज्य चुनाव आयोग का अतिरिक्त प्रभार सौंपने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई.