- कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर उप समिति की बैठक
Ranchi : झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर उप समिति की बैठक बुधवार को चैंबर भवन में हुई. वर्क्स कांट्रैक्ट पर जीएसटी दर में संशोधन के उपरांत निर्माण कार्य में लगे संवेदकों की कठिनाइयों पर बैठक में चर्चा की गई. कहा गया कि पहले के एग्रीमेंट पर सरकार द्वारा वर्क्स कांट्रैक्टर के हर बिल पर जीएसटी काटा जा रहा है, जिसका रिंबर्स भी नहीं हो रहा है. झारखंड में विभिन्न योजनाएं पूर्व के अनुबंध (12 प्रतिशत की दर) पर चली आ रही हैं. किंतु जीएसटी दर में अचानक हुए बदलाव के कारण 6 फीसदी अतिरिक्त कर का बोझ संवेदकों को वहन करना पड रहा है. उप समिति के चेयरमेन चंद्रेश बजाज एवं मनीश जैन ने कहा कि निर्माण कार्य के अनुबंध आमतौर पर दीर्घकालिक होते हैं, जहां प्राक्कलित राशि अनुबंध के आरंभ में ही तय की दी जाती है, ऐसे में उचित होगा कि संवेदकों की वास्तविक कठिनाई को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सभी विभागों को जीएसटी की अंतर राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया जाये.
कांट्रैक्टर्स को अपने बिल में पेनाल्टी देना पड रहा
बैठक के दौरान कहा गया कि विभाग द्वारा बालू का माइनिंग चालान निर्गत नहीं होने से कांट्रैक्टर्स को अपने बिल में पेनाल्टी देना पड रहा है. विभाग में माइनिंग चालान जमा करने के बाद माइनिंग क्लियरेंस मांगा जाता है, जो कि एक कठिन कार्य है. बैठक में बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया अब तक पूर्ण नहीं होने पर भी असंतोष जताया गया. कहा गया कि इस कारण सामान्य से अधिक दरों पर बालू मिल रहा है. लोग परेशान हैं.
छोटे कांट्रैक्टर्स को आर्थिक क्षति उठानी पड़ी
इस बात पर भी चर्चा की गई कि कई टेंडर 2020-21 के पूर्व ही फाइनल किये गये थे. किंतु कोविड के प्रतिबंधों के कारण योजनाएं विलंब से शुरू हुईं. जब योजनाएं शुरू हुईं, तब रॉ मटेरियल के मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण संवेदकों को निर्माण कार्य में एग्रीमेंट से अधिक दरों पर योजनाओं को पूर्ण करना पडा. संवेदकों द्वारा बार-बार सरकार से एग्रीमेंट के रेट रिवाइज करने का आग्रह किया गया, किंतु इस दिशा में कोई उपयुक्त कार्रवाई नहीं की गई. जिस कारण कई छोटे-छोटे कांट्रैक्टर्स को आर्थिक क्षति उठानी पड़ी. संवेदकों की वास्तविक समस्याओं को देखते हुए चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने उच्चाधिकारियों से मिलकर सकारात्मक कार्यवाही के लिए आश्वस्त किया.