Ranchi: झारखंड अधिवक्ता मंच के केंद्रीय अध्यक्ष रविंद्र कुमार ने झारखंड सरकार द्वारा न्यायिक शुल्क में 20 गुना वृद्धि का पुरजोर विरोध किया है, और कहा है कि झारखंड में न्यायिक शुल्क की वृद्धि से गरीब, आदिवासी, पिछड़े, अशिक्षित लोगों के लिए अब न्याय पाना दुर्लभ एवं महंगा हो गया है. समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय मिलने में अब कठिन परिस्थितियों से गुजरना होगा.
इसे पढ़ें-साहिबगंज में 90 प्रतिशत तड़ित चालक छूमंतर, 10 % खराब
न्याय शुल्क वृद्धि की एक समुचित व्यवस्था होनी चाहिए और समाज में महंगाई के अनुपात के अनुसार समय-समय पर परिस्थिति को देखते हुए वृद्धि योजना होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सामाजिक परिस्थिति बदली है. दो वर्षों से लोग कोरोना की मार झेल रहे हैं. ऐसे में कोर्ट फीस बढ़ोतरी लोगों पर अतिरिक्त भार डालेगा. उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. कोर्ट फीस में की गई बढ़ोतरी वापस ली जानी चाहिए.
इसे भी पढ़ें-साहिबगंज : दूसरी सोमवारी पर शिवालयों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
झारखंड अधिवक्ता मंच, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के द्वारा आहूत विरोध का समर्थन करते हुए संपूर्ण झारखंड में अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से खुद को अलग रखा. न्यायिक शुल्क में वृद्धि का विरोध करने वालों में अधिवक्ता राजकुमार साहू, योगेंद्र प्रसाद, अखौरी प्रमोद बिहारी, विश्वंभर महतो, रघुवीर महतो, पूनम साहू, रोहन ठाकुर, अभय मिंज, सतीश कुमार, प्रशांत कुशवाहा, कौशिकी गिरी, अनीता राम, राखी कुमारी, संध्या कुमारी, निकुंज सदा, रश्मि कुमारी प्रसाद, अंजना टोप्पो, मानस दत्ता, पी चटर्जी, पवन कुमार, अरुण झा, साहिबगंज के अधिवक्ता भानु प्रताप, सिंह विवेक कुमार, अजय वर्मा, मोहम्मद तारिक जफर, झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता ज्योति प्रकाश, शशिकांत ठाकुर, हजारीबाग के अधिवक्ता छोटेलाल प्रसाद, रामगढ़ के अधिवक्ता राजकुमार गुप्ता, अनूप कुमार, गुमला के अधिवक्ता अजय कुमार साहू, मैनेजर साहू,मोती गोप, लोहरदगा के अधिवक्ता रेखा साहू राज किशोर साहू, निखिल मिश्रा, राजेश केसरी, नरेंद्र कुमार,कुमार सत्यम, अभिषेक पाल प्रमुख रूप से शामिल रहे.