Ranchi : प्रदेश के वैसे ग्रामीण जो अपनी जीविका के लिए वनोत्पाद और कृषि पर पूरी तरह आश्रित हैं. उनके लिए राज्य सरकार एक योजना लाने जा रही है. यह योजना वनोत्पाद और कृषि फसल चावल की खरीद से संबंधित हैं. योजना को ‘नॉन टिम्बर फॉरेस्ट प्रोड्यूस एंड एग्रीकल्चर फेडरेशन’ नाम दिया गया है. कार्मिंक से मिली सूचना के मुताबिक मंगलवार को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में इस बाबत एक प्रस्ताव आ सकता है. यह योजना दो विभागों कृषि और वन विभाग की होगी. फेडरेशन के तहत सरकार ग्रामीण वनोत्पाद और धान की खरीदारी करेगी. वनोत्पाद में सरकार का विशेष जोर लाह की खरीद पर है. बता दें कि मुख्यमंत्री ने पहले ही लाह को कृषि का दर्जा देने का फैसला किया है.
राज्य में धान खरीद योजना की रफ्तार काफी धीमी थी
फेडरेशन के द्वारा धान खरीदने पर फैसला विगत वर्षों में हुई धान के उत्पादन और उसके तुलना में कम हुई खरीद को देखते हुए लिया गया है. 2019 में करीब 34 लाख और कोरोना संक्रमण की स्थिति में 2020 में धान का उत्पादन करीब 49 लाख टन हुआ था. इसकी तुलना में राज्य में धान खरीद योजना की रफ्तार काफी धीमी थी. जिसका कारण राज्य में कम धान क्रय केंद्र या राइस मिल होना बताया गया. ऐसे में जबतक सरकार अपने स्तर पर क्रय केंद्र या राइस मिल की व्यवस्था नहीं कर पाती है, तबतक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत सरकार फेडरेशन से ही धान खरीदने का काम करेगी.
राज्य सरकार लाह की खेती को कृषि का दर्जा देगी
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में लघु वनोत्पाद (लाह, इमली, महुआ, करंज, चिरौंजी, केंदू-पत्ता, साल बीज-पत्ते, शहद, कुसुम बीज, नीम के बीज, जामुन-बीज, तेज पत्ता, आंवला, गिलोय) का फैसला किया है. यह खरीददारी भी प्रस्ताविक फेडरेशन के तहत ही की जाएगी. लघु वनोत्पाद के तहत सरकार का विशेष जोर लाह की खरीद पर रहेगा. बता दें कि मुख्यमंत्री ने पहले ही कहा था कि राज्य सरकार ने लाह की खेती को कृषि का दर्जा देगी. इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करेगी. अपनी सरकार के एक वर्ष पूरा होने पर मोरहाबादी में आयोजित वर्षगांठ कार्यक्रम में कहा था कि फेडरेशन गठन कर सरकार ने ग्रामीणों के आय को बढ़ाने का काम कर रही हैं.