NewDelhi : नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के प्रति केंद्र सरकार का रवैया शुरुआत से ही प्रतिकूल और टकराव भरा रहा है. यह पूर्व नौकरशाहों के एक समूह का कहना है बता दें कि पूर्व नौकरशाहों ने एक खुला पत्र जारी कर यह बात कही है.
दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, जुलियो रिबेरियो और अरुणा रॉय सहित 75 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि गैर-राजनीतिक किसानों को ऐसे गैर-जिम्मेदार प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है जिनका उपहास किया जाना चाहिए, जिनकी छवि खराब की जानी चाहिए और जिन्हें हराया जाना चाहिए.
लिखा है कि ये सभी लोग कॉन्स्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप (CCG) का हिस्सा हैं. पत्र पर जवाहर सरकार और अरबिंदो बेहरा, पूर्व आईएफएस अधिकारियों केबी फैबियन और आफताब सेठ, एके सामंत सहित अन्य के भी हस्ताक्षर हैं.
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11 दिसंबर को भी लिखा था पत्र
पत्र में कहा गया है, अगर भारत सरकार वाकई मैत्रीपूर्ण समाधान चाहती है तो उसे आधे मन से कदम उठाने के बजाए कानूनों को वापस ले लेना चाहिए और फिर संभावित समाधान के बारे में सोचना चाहिए. पत्र में लिखा है कि सीसीजी में शामिल हम लोगों ने 11 दिसंबर, 2020 को एक बयान जारी कर किसानों के रुख का समर्थन किया था. उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उसने हमारे इस विचार को और मजबूत बनाया कि किसानों के साथ अन्याय हुआ है और लगातार हो रहा है. ‘ऐसे रवैये से कभी कोई समाधान नहीं निकलेगा.
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आंदोलनकारी किसानों को समर्थन
पूर्व नौकरशाहों ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह देश में अशांति पैदा करने वाले मुद्दे को सुलझाने की दिशा में कदम उठाये. पत्र में कहा गया है, हम आंदोलनकारी किसानों के प्रति अपने समर्थन को मजबूती से दोहराते हैं और सरकार से आशा करते हैं कि वह घाव पर मरहम लगाते हुए मुद्दे का सभी पक्षों के लिए संतोषजनक समाधान निकालेगी. कुछ घटनाक्रमों को लेकर उन्हें गंभीर चिंता हो रही है.
केंद्र सरकार पर निशाना
पूर्व नौकरशाहों का कहना है कि वे लोग 26 जनवरी, 2021 को गणतंत्र दिवस के घटनाक्रम जिसमें किसानों पर कानून-व्यवस्था को भंग करने का आरोप लगाया गया और उसके बाद की घटनाओं को लेकर विशेष रूप से चिंतित हैं.
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा
बता दें कि केंद्र के नये कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया था, जिसमें कुछ जगहों पर उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गयी थी. कुछ किसान ट्रैक्टर परेड के तय रास्ते से अलग होकर लाल किला पहुंच गये और वहां ध्वज स्तंभ पर धार्मिक झंडा लगा दिया.
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राजद्रोह का केस क्यों दर्ज किया गया?
पूर्व नौकरशाहों ने सरकार से पूछा है कि तथ्यों के स्पष्ट होने से पहले महज कुछ ट्वीट करने के आधार पर विपक्षी दल के सांसद और वरिष्ठ संपादकों और पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का मामला क्यों दर्ज किया गया है? सरकार के खिलाफ विचार रखना या प्रदर्शित करना, या किसी घटना के संबंध में विभिन्न लोगों के अलग-अलग विचारों की रिपोर्टिंग करने को कानून के तहत देश के खिलाफ गतिविधि करार नहीं दिया जा सकता
पत्र में कहा गया है कि बातचीत को फिर से शुरू करने के लिए उचित वातावरण तैयार करने के लिहाज से किसानों और पत्रकारों सहित ट्वीट करने वालों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिये जाने, गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल असामाजिक तत्वों को छोड़कर और किसानों को खालिस्तानी बताने की गलत मंशा वाले दुष्प्रचार को बंद करना जरूरी है.