SC ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में प्रमोशन के लिए कॉलेजियम द्वारा रिकमेंड किये गये जजों के नामों को अपनी मर्जी से चुनने पर नाराजगी व्यक्त की.
New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जजों की नियुक्ति में सरकार का पिक एंड चूज वाला नजरिया ठीक नहीं है. खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जस्टिस की नियुक्ति पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताते हुए मंगलवार को यह बात कही. SC ने उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में प्रमोशन के लिए कॉलेजियम द्वारा रिकमेंड किये गये जजों के नामों को अपनी मर्जी से चुनने पर नाराजगी व्यक्त की. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार किसी वकील का राजनीतिक जुड़ाव उन्हें जस्टिस के रूप में नियुक्त होने से अयोग्य घोषित करने का कारण नहीं होना चाहिए, जब तक कि वह उनके न्यायिक कार्य को प्रभावित नहीं करता.
अटॉर्नी जनरल से कहा, सरकार कॉलेजियम द्वारा रिकमेंड तबादलों को नोटिफाई करे
जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली दो-न्यायाधीशों की पीठ ने, जिसमें न्यायमूर्ति सुधांशु धूला भी शामिल थे, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को सुझाव दिया कि वह सरकार से कॉलेजियम द्वारा रिकमेंड तबादलों को नोटिफाई करने को कहें. साथ ही पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं किये जाने से सिस्टम में विसंगतियां पैदा होती है.
केंद्र सरकार के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना की मांग
दो जजों की पीठ एडवोकेट्स एसोसिएशन बैंगलुरू और एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के मामले में SC कॉलेजियम की सिफारिशों पर फैसला लेने में देर करने लिए केंद्र सरकार के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना की मांग की गयी थी.
याद करें कि जस्टिस कौल ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में हाल में हुई कुछ नियुक्तियों का जिक्र करते हुए कहा खा कि यह पिक एंड चूज बंद होना चाहिए. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा प्रमोशन के लिए रिकमेंड किये गये कुल पांच वकीलों में से केवल तीन नामों पर मुहर लगाई थी.