Ranchi: पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की ने कहा कि राज्यपाल रमेश बैस का आदिवासी और झारखंडी के प्रति नाकारात्मक रूख रहा है. इससे झारखंडी दुखी हैं. इसलिए अब सरकार को सीधे अध्यादेश लाना चाहिए. तिर्की ने कहा राज्यपाल को पांचवीं अनुसूची के अनुपालन पर ही आपत्ति है. इसलिये उन्होंने स्थानीय नीति को लौटाया है. उन्होंने यह भी कहा कि पार्टियों को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए.
तिर्की ने आगे कहा कि वर्ष 2002 में झारखंड हाईकोर्ट ने कहा था कि झारखंड सरकार चाहे तो वह अपनी स्थानीय नीति बना सकती है. लेकिन राज्यपाल ने सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देकर इसे वापस कर दिया है, जो राज्य के आदिवासियों और खतियानी झाड़खंडियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है. झारखंड उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता राजीव रंजन को इसपर सरकार को सुझाव देना चाहिए. रतन तिर्की ने कहा कि झारखंड सरकार को स्थानीय नीति पर जल्द ही अध्यादेश लाना चाहिये.
तिर्की ने कहा कि भाजपा, कांग्रेस, आजसू, राजद और वामपंथी दलों को भी अपनी पार्टियों का स्थानीय नीति पर रूख स्पष्ट करना चाहिए. रतन तिर्की ने कहा कि राज्यपाल ने अभी तो स्थानीय नीति विधेयक वापस लौटाया है. अगर रही रवैया रहा तो सरना धर्म कोड मामला भी वापस लौटा दिया जायेगा. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुझाव देते हुए कहा है कि जोहार यात्रा के दौरान अपार जनसमर्थन 1932 के स्थानीय नीति को लेकर ही मिल रहा है. इसलिए हर हाल में स्थानीय नीति पर अध्यादेश लाकर इसे लागू करवाया जाये.
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