– वर्ष 2009 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने किया था शिलान्यास
– आधी-अधूरी परियोजना का पूर्व सीएम रघुवर दास ने किया 2016 में किया था उद्घाटन
– 2016 में मेगा फूड पार्क के निदेशक के निधन के बाद पूरी व्यवस्था चरमरा गयी
– लोन राशि दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाने के कारण इलाहाबाद बैंक में इसे कब्जे में ले लिया
– केंद्र सरकार के इनकार के बाद परियोजना ही हो गयी रद्द
Kaushal Anand
Ranchi: रांची में मेगा फूड पार्क का सपना 13 साल बाद भी साकार नहीं हो सका है. कई सरकारें आयीं, कई गयीं, मगर मेगा फूड पार्क नहीं मिला. फिलहाल इसके साकार होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती. वर्ष 2009 में पहली बार पूर्व केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग मंत्री सुबोधकांत सहाय ने इसकी आधारशिला रखी थी. तब से लेकर आज तक इसमें कई उतार-चढ़ाव आए, मगर यह तैयार नहीं हो सका. मौजूदा परिस्थितियां इसकी सफलता पर प्रश्नचिह्न खड़े करती हैं.
योजना, काम, मौजूदा हालात
वर्ष 2009 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय ने इसकी आधारशिला रखी थी. इसके तहत 21 बड़े फूड प्रोसेसिंग और 12 छोटे यूनिट लगाने थे. यह भी तैयार हो चुका है. एक एमवीए क्षमता का पावर स्टेशन लगाया जाना है. स्टेशन बन गया. सड़कें भी बनी थीं, मगर अब जर्जर हो चुकी हैं. दो वेयर हाउस भी बनाए गए. मगर यह भी जर्जर हो चुके हैं. वर्कर्स हॉस्टल भी अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. प्रशासनिक भवन की भी हालत अच्छी नहीं है. चार कोल्ड स्टोरेज भी बनाए गए. मगर अब यह टूटने लगा है. कई मशीनें बेकार पड़ी हैं.
ऐसे लगा योजना पर ग्रहण
– वर्ष 2009 में तत्कालीन खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय ने 43 करोड़ रुपये की लागत वाली योजना की आधारशिला रखी थी.
– आधे-अधूरे प्लांट का उद्घाटन तत्कालीन सीएम रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, साध्वी निरंजन ज्योति और पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने 15 फरवरी 2016 को किया. इस समय एक भी यूनिट नहीं लग पायी थी.
– वर्ष 2017 में झारखंड मेगा फूड पार्क के तत्कालीन निदेशक नितिन शिनोई का दुबई में निधन हो गया.
– निदेशक के निधन के बाद पूरा मैनेजमेंट ही खत्म हो गया.
– बैंक लोन पर ब्याज बढ़ता चला गया, जो अब 39.21 करोड़ लाख रुपये तक हो गया.
– इसके बाद इलाहाबाद बैंक ने सरफेसी एक्ट के तहत इसे अपने कब्जे में ले लिया. इसे बचाने को लेकर केंद्र सरकार से कई दौर की वार्ता हुई मगर कोई लाभ नहीं हुआ.
– केंद्र सरकार ने मेगा फूड पार्क को ही रद्द कर दिया.
– इसके बाद इसे बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गयी, क्योंकि राज्य सरकार बैंक लोन के झमेले में पड़ने को तैयार नहीं है.