Ranchi : चर्च और गिरजाघरों में 22 फरवरी से मसीही समुदाय का उपासना कार्यक्रम शुरू होगा. इस दिन यीशु ख्रीस्त के क्रुस पुनरूथान पर चिंतन मनन किया जाएगा. यह अवधि 40 दिनों तक चलेगा, जो भस्म राख से शुरू होकर ईस्टर रविवार तक चलेगा. भस्म राख खजूर के पत्तों से बनाया जाएगा हैं, जिसे मसीही समुदाय अपने माथे पर क्रूस चिह्न बनाकर तिलक लगायेंगें. इसका अर्थ है ईश्वर से पश्चाताप करना. प्रत्येक शुक्रवार को क्रूस रास्ता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें यीशु मसीह के दुख भोग पर चिंतन- मनन किया जाएगा. इस अवधि में खजूर रविवार के साथ पुण्य सप्ताह में तीन चीजों को याद किया जाएगा. पहला गुरुवार को परम प्रसाद की स्थापना की जायेगी. इस दिन यीशु मसीह अपने 12 शिष्यों को पैर धोकर सेवा करने का उदाहरण पेश किया था. यीशु मसीह का जिंदा होने के अवसर पर कई मसीही समुदाय कब्रिस्तान जाकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं. कब्रों पर फूल माला चढ़ाते हैं. मोमबत्ती जलाते हैं. गुड फ्राइडे के एक दिन पहले मौंडी संडे आता है, जिसमें यीशु मसीह ने क्रूस पर चढ़ने से पहले शिष्यों के साथ भोजन किया था. पाम रविवार के अवसर पर क्रूस यात्रा को याद किया जाता हैं, जिसमें यीशु मसीह ने यरूस्लम में प्रवेश किया था. लोगों ने खजूर की डाली से उनका स्वागत किया था.
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