- बच्चों को स्कूल ले जाने वाले कई वैन, ऑटो और कार का रजिस्ट्रेशन-इंश्योरेंस सब फेल
- कई चालकों के पास नहीं रहता लाइसेंस, नाबालिग भी सड़कों पर सरपट दौड़ाते हैं गाड़ी
Pramod Upadhyay
Hazaribagh : भले ही अभिभावक बच्चों को स्कूल वैन, ऑटो, कार आदि बुक कर स्कूल पहुंचाने और लाने की जिम्मेवारी से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन उनके लाडलों का क्या हाल होता है, वह बच्चे ही जानते हैं. एक तो वाहन से स्कूल जाने के लिए कम-से-कम उन्हें दो घंटे पहले तैयार होना पड़ता है और छुट्टी होने के बाद भी इतने ही वक्त बेवजह वाहनों में शहर का भ्रमण भूखे-प्यासे करते रहते हैं. दूसरी ओर कभी कोई हादसा हो गया, तो दर्द भी यही नौनिहाल बर्दाश्त करते हैं. फिर भी अभिभावकों की तंद्रा भंग नहीं होती है. रोजमर्रा की तरह बच्चे भेड़-बकरियों की तरह वाहनों में ठूंसे जाते हैं और स्कूल पहुंचते हैं. कभी अभिभावकों ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि कई चालकों के वाहन का न तो रजिस्ट्रेशन अपडेट रहता है और न इंश्योरेंस क्लीयर रहता है. यहां तक कि कई चालकों के पास लाइसेंस तक नहीं है. नाबालिग बच्चे भी चालक बने हुए हैं. ऐसे में हर पल नौनिहालों की जान खतरे में होती है. दरअसल बाहर से खटारा वाहनों की डेंटिंग-पेंटिंग कर स्कूल के लिए चलाते हैं. कम दाम में मिलनेवाले ऐसे वाहन वास्तव में अंदर से खटारा होते हैं और ऐसे वाहनों से अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है.
केस-1 : टाटा मैजिक वैन की बैटरी हुई ब्लास्ट, चार बच्चियां हुईं घायल
शुक्रवार को ही कार्मल स्कूल की बच्चियों को ले जाने वाले एक टाटा मैजिक वैन की बैटरी ब्लास्ट कर गई. पोस्ट ऑफिस चौक पर हुए इस हादसे में चार बच्चियां घायल हो गईं.
केस-2 : वैन पलटने से विद्या मंदिर के आठ बच्चे हुए थे घायल
करीब चार माह पहले महावीर स्थान चौक पर एक स्कूल वैन अनियंत्रित होकर पलट गई. इसमें सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के आठ बच्चे घायल हो गए थे.
केस-3 : एनएच-33 पर भी हो चुका है हादसा
इचाक मोड़ पर चालक एनएच-33 के किनारे बच्चों से भरे ऑटो को लगाकर सब्जी खरीदने के लिए चला गया था. पीछे से एक ट्रेलर ने ऑटो में धक्का मार दिया. इसमें भी कई बच्चे घायल हो गए थे.
सीट से दोगुना बच्चे को बैठाते हैं कई वाहन संचालक : सुरेंद्र कुमार
मंडई से संत माइकल आनेवाले ऑटो चालक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि यहां कई ऐसे स्कूली वाहन हैं, जो सीट से दोगुना बच्चे को बैठाते हैं. यह गलत और बच्चों की जान से खिलवाड़ है. वह अपने ऑटो में सीट के अनुसार ही बच्चों को बैठाते हैं. इसके लिए वह प्रतिमाह हर अभिभावक से 800 रुपए किराया लेते हैं. वह कहते हैं कि अमृतनगर, विष्णुपुरी, शिवदयालनगर, कोर्रा, मटवारी आदि से कई वाहनों से बच्चे स्कूल लाए जाते हैं. पैसे के लालच में सीट से अधिक बच्चों को वाहनों में बैठाते हैं. अभिभावकों को इसका विरोध करना चाहिए.
क्या कहते हैं अभिभावक
वाहनों को परखकर बच्चों को बैठाना चाहिए : प्रदीप कुमार मेहता
इस संबंध में इचाक निवासी प्रदीप कुमार मेहता कहते हैं कि अभिभावक को भी जागरूक होना चाहिए. वाहनों और चालकों को परखकर बच्चों को भेजना चाहिए. यही वजह है कि वह खुद बाइक से बच्चों को लाते और ले जाते हैं.
स्कूलों की अपनी होनी चाहिए गाड़ी : नितेश कुमार
इस संबंध में सूर्यानगर निवासी नितेश कुमार कहते हैं कि बच्चों को घरों से लाने और पहुंचाने के लिए सभी स्कूलों की अपनी गाड़ी होनी चाहिए. यह जिम्मेवारी स्कूल की होनी चाहिए. निजी वाहनों में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. पता नहीं चालक कैसा है और कब वाहन अनियंत्रित हो जाए औ बच्चे मुसीबत में पड़ जाएं. स्कूल का अपना वाहन होगा, तो प्रबंधन की देखरेख में चलेगा.
कबाड़ी से खरीदी जाती है गाड़ी और बच्चों को पहुंचाया जाता है स्कूल : मनोज कुमार
दीपूगढ़ा निवासी मनोज कुमार कहते हैं कि महानगरों से कबाड़ी से गाड़ी खरीदकर लाते हैं और स्कूल वैन बना देते हैं. बच्चों को उसी से स्कूल पहुंचाते हैं. मोटी कमाई की लालच में ऐसे वाहन चालक नौनिहालों की जिंदगी से खेलते हैं. ऐसे वाहन कभी भी खराब होकर बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं.
ओवरलोड के लिए कई बार लगा चुके हैं फटकार : सिस्टर रेखा
संत माइकल स्कूल की प्राचार्या सिस्टर रेखा ने कहा कि बाहर निकल कर बच्चों को देखती हैं. ओवरलोड रहने पर वाहन चालकों को कई बार फटकार लगा चुकी हैं. अभिभावकों को भी इसके लिए जागरूक बनना होगा. यह जिम्मेवारी स्कूल की नहीं है. बच्चे अभिभावक की ओर से किए गए वाहनों से आते हैं. स्कूल की खुद की गाड़ी नहीं है.
अभिभावकों को होना पड़ेगा जागरूक : डीटीओ
इस संबंध में डीटीओ विजय कुमार ने बताया कि पुरानी गाड़ी को अगर अभिभावक बुक करके बच्चों को स्कूल भेजते हैं, तो वह उनकी जिम्मेवारी है. जहां तक वाहनों के रजिस्ट्रेशन का सवाल है, तो इस पर जांच अभियान चलाते हुए जल्द कार्रवाई करेंगे.
वाहनों की जांच की जिम्मेवारी डीटीओ की है : यातायात प्रभारी
यातायात प्रभारी कृष्णा कुमार रावत ने कहा कि गाड़ी की जांच करने की जिम्मेवारी डीटीओ की है. जब उनका निर्देश आएगा तभी वे लोग कार्रवाई कर सकते हैं.
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