प्रेस रिलीज जारी करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठने को लेकर कई बार हुआ है विवाद
Ranchi : प्रदेश बीजेपी के अंदर किचकिच बढ़ती जा रही है. दर्जनों पुराने पदाधिकारी संगठन की नयी व्यवस्था में ढल नहीं पा रहे हैं. जिन शर्तों पर उन्हें संगठन में हांकने की कोशिश की जा रही है, वो इसके लिए कतई तैयार नहीं हैं. ऐसे नेता प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश से भी इसकी शिकायत कर चुके हैं. लेकिन उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए प्रदेश नेतृत्व की ओर से कोई पहल नहीं हुई है. प्रेस रिलीज जारी करने और बड़े नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठने को लेकर आये दिन विवाद हो रहा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठने के मामले पर बीते दिनों प्रदेश प्रवक्ता अमित सिंह और पार्टी के मीडिया विभाग के पदाधिकारी के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई. उस वक्त प्रदेश अध्यक्ष दफ्तर में ही मौजूद थे. बात उनतक भी पहुंची. लेकिन मसले का कोई हल नहीं निकला.
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एक ही देवता की पूजा से दूसरे देवताओं में नाराजगी
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि प्रदेश बीजेपी में इन दिनों सिर्फ एक ही देवता की पूजा हो रही है. कुछ नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष की नब्ज पकड़ ली है. दिन भर उनकी चापलूसी करने में लगे रहते हैं. कई सांसद और विधायक भी प्रदेश बीजेपी में पदाधिकारी हैं, लेकिन संगठन के अंदर और मीडिया में वे चर्चा में नहीं हैं. क्योंकि उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जाता. बोलने का मौका सिर्फ दीपक प्रकाश को मिलता है. थोड़ा-बहुत चांस बाबूलाल मरांडी, आदित्य साहू और प्रदीप वर्मा को मिलता है. हालांकि एक हफ्ते से पार्टी के प्रवक्ताओं और कुछ पदाधिकारियों के नाम से प्रेस रिलीज जारी होने लगी है. लेकिन अभी भी कई सीनियर पदाधिकारियों का बयान नहीं आ रहा है.
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पहले मुद्दे के साथ तय होते थे पदाधिकारी
लक्ष्मण गिलुआ जब प्रदेश अध्यक्ष थे, तब सभी पदाधिकारियों को बोलने का मौका मिलता था. सुबह ऑफिस खुलने के बाद प्रदेश के सभी प्रमुख अखबारों को खंगाला जाता था. अखबरों में उठे प्रमुख मुद्दों और विपक्षी दलों के नेताओं के बयान को एकत्रित किया जाता था और फिर तय होता था किस मुद्दे पर किस पदाधिकारी का बयान जारी करना है. या फिर विपक्ष के किसी नेता के बयान पर बीजेपी के किस नेता को पलटवार करना है. ये रोटेशन में था इसलिए उस दौर में कभी बयान या प्रेस रिलीज जारी करने का मुद्दा ही नहीं.
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जब खुद ही प्रेस रिलीज लिखना है तो खुद ही जारी भी कर देंगे
अब दीपक प्रकाश के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद व्यवस्था बदल गयी है. नये पदाधिकारी हों या पुराने पदाधिकारी, सांसद हों या विधायक. कोई भी बयान जारी करना हो, आपको खुद से लिखकर पार्टी के मीडिया सेल में भेजना होगा. फिर वहां से कुछ करेक्शन के बाद उसे पार्टी की ओर से जारी किया जायेगा. इस व्यवस्था से नाराज पदाधिकारी कहते हैं कि अगर हमें खुद से ही बयान लिखना है, तो उसे जारी करने के लिए पार्टी के मीडिया विभाग को भेजने की क्या जरूरत है. हम खुद ही पत्रकारों के बीच अपने बयान और प्रेस रिलीज सर्कुलेट कर सकते हैं.
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कुछ खास नेताओं पर ज्यादा ही मेहरबानी
पार्टी की नयी व्यवस्था से नाराज पदाधिकारी कहते हैं कि हर मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष का बयान जारी कर उनकी गरिमा को हल्का किया जा रहा है. महिला, अल्पसंख्यक, युवा, किसान, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के मुद्दों पर बोलने के लिए सभी मोर्चों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं, लेकिन उनका बयान जारी नहीं कर प्रदेश अध्यक्ष का बयान जारी किया जाता है. वहीं बड़े नेताओं के प्रेस कॉन्फ्रेंस में पिछले कुछ दिनों से कुछ खास चेहरे ही नजर आ रहे हैं, जबकि कायदे से प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेता के साथ उस मुद्दे की जानकारी रखने वाले पदाधिकारी के साथ उस दिन जिस प्रवक्ता की ड्यूटी लगी हो, उसे ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठाना चाहिए.
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उपाध्यक्ष दरकिनार, महामंत्रियों की चलती है
प्रदेश बीजेपी में विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, सांसद सुनील सिंह, अन्नपूर्णा देवी, विधायक अपर्णा सेन गुप्ता और राज पलिवार समेत 8 उपाध्यक्ष हैं, लेकिन उपाध्यक्ष के तौर पर इनकी भूमिका इस कार्यकाल में अबतक नजर नहीं आई है. प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू और प्रदीप वर्मा इनसे ज्यादा एक्टिव हैं. वहीं 8 प्रदेश मंत्रियों में सुबोध सिंह गुड्डू को छोड़कर दूसरे किसी मंत्री की सक्रिय भूमिक संगठन में नहीं दिख रही है. मीडिया विभाग में भी 5 सह मीडिया प्रभारी हैं, लेकिन सिर्फ अशोक बड़ाईक ही दिखाई पड़ते हैं. 7 प्रवक्ताओं में से प्रदीप सिन्हा और अविनेश कुमार भी कई दिनों से दिखाई नहीं दिये हैं.
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