- हरे रंग का शिवलिंग बेशकीमती पन्ना पत्थर का है
Varanasi : वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद कोर्ट ने उस जगह को सील करने का आदेश जारी किया है. वाराणसी कोर्ट ने जिलाधिकारी को आदेश देते हुए कहा कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दें और किसी भी व्यक्ति को वहां जाने न दें. इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और सीआरपीएफ को दी गई है.
अधिकरियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय
कोर्ट ने अधिकरियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय कर दी है. अपने आदेश में वाराणसी कोर्ट ने कहा, ‘जिला अधिकारी, पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेशित किया जाता है कि जिस स्थान को सील किया गया है, उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की पूर्णत: व्यक्तिगत जिम्मेदारी उपरोक्त समस्त अधिकारियों की व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी.’
हिंदू पक्ष ने किया शिवलिंग मिलने का दावा
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे तो खत्म हो गया, लेकिन दावों पर तूफान खड़ा हो गया. तीसरे और आखिरी दिन सर्वे का काम पूरा करते ही जैसे ही टीम बाहर आई तो हिंदू पक्ष शिवलिंग मिलने का दावा करने लगे. हिंदू पक्ष के मुताबिक, जैसे ही वजूखाने का पानी निकाला गया, सभी झूम उठे, क्योंकि वहां 12.8 फीट व्यास का शिवलिंग था.
कल्पना से अधिक प्रमाण मिले
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने दावा किया कि पानी हटते ही विशाल शिवलिंग सामने प्रकट हुआ. दावा है कि नंदी की मूर्ति के ठीक सामने मिले शिवलिंग का व्यास 12 फीट 8 इंच है. इसकी गहराई भी काफी है. वहीं हिंदू पक्षकार सोहनलाल आर्य ने कहा कि आज बाबा मिल गए, कल्पना से अधिक प्रमाण मिले हैं.
हरे रंग का शिवलिंग बेशकीमती पन्ना पत्थर का है
सर्वे में शामिल एक सूत्र ने बताया, ‘यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने 1585 में स्थापित कराया था. तब उनके साथ बनारस के पंडित नारायण भट्ट भी थे. शिवलिंग का ऊपरी कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था. यह शिवलिंग बेशकीमती पन्ना पत्थर का है. रंग हरा है. शिवलिंग का साइज करीब 3-4 मीटर के आसपास है. यह काफी आकर्षक नजर आ रहा है. यह शिवलिंग श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित नंदी के सामने वाले ज्ञानवापी के हिस्से में है. नंदी महाराज के सामने जो तहखाना है, उसी में अंदर मस्जिद के बीचों-बीच आज भी शिवलिंग दबा है. इसका अरघा भी काफी बड़ा है.’
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30 साल पहले जब ताला बंद हो रहा था, तब भी दिखा था शिवलिंग
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में जिसे तहखाना कहा जा रहा है वह असलियत में मंदिर मंडपम है. जो लोग भी तहखानों की बात कर रहे हैं, वे सभी मंडपम हैं. इन्हें तहखाना के बजाय मंडपम कहें तो बेहतर होगा. डॉ. तिवारी ने बताया कि उनके परिवार के पंडित नारायण भट्ट ने पन्ना पत्थर का शिवलिंग स्थापित कराया था.
मुस्लिम पक्ष ने दावे से किया इनकार
हिंदू पक्ष शिवलिंग का दावा कर खुशी से फुले नहीं समा रहे थे तो मुस्लिम पक्ष दावे को सिरे से नकार रहे थे. मुस्लिम पक्ष का दावा है कि अंदर ऐसा कुछ नहीं मिला, जिसका दावा हिंदू पक्ष कर रहे हैं. वहीं दावे प्रति दावे के बीच कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने अदालती गाइडलाइंस का हवाला देते हुए शिवलिंग मामले पर चुप्पी साध ली.
कोर्ट के आदेश पर वजू पर लगी पाबंदी
तो काशी के डीएम कौशल राज शर्मा ने ऐसे दावे को निजी बताकर पल्ला झाड़ लिया. इसके बाद ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का मामला कोर्ट में भी पहुंच गया. हिंदू पक्ष के दावे के बाद सिविल कोर्ट ने आर्डर पास किया. कोर्ट ने अपने आदेश में शिवलिंग के आसपास जाने पर रोक लगा दी यानी यहां कोई आ-जा नहीं सकता है. इसके बाद डीएम ने यहां वजू पर भी पाबंदी लगा दी.
तीन दिन तक चला सर्वे, मंगलवार को होगी सुनवाई
ज्ञानवापी में अब सिर्फ 20 लोग ही नमाज के लिए जा सकते हैं. तीन दिन और 10 घंटे में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पूरा हो गया. कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र कल सर्वे रिपोर्ट दाखिल करेंगे. इसके बाद कोर्ट तय करेगा कि ज्ञानवापी का सच क्या है? शिवलिंग मिला या नहीं? तहखाने में क्या सबूत मिले? गुंबद की वीडियोग्राफी से किया मिला?
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