Bismay Alankar
Hazaribagh :हजारीबाग इलाके की प्रसिद्ध कला शैली सोहराय और कोहबर कला गणतंत्र दिवस पर परेड मार्ग और राजपथ पर दिखेगी. इसकी तैयारी पिछले एक महीने से आडिशा में चल रही थी. यहां की बनाई कलाकृति का प्रदर्शन 26 जनवरी के परेड मार्ग में दोनों ओर लगा कर किया जा रहा है. पूरी कलाकृति आजादी के वैसे रणबांकुरे को समर्पित है, जिन्हें हम जानते नहीं या बहुत कम जानते हैं.
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12 से 17 दिसंबर तक वर्कशॉप का आयोजन किया
आज़ादी के अमृत महोत्सव को लेकर 12 दिसंबर से 17 दिसंबर तक भुवनेश्वर में एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. जिसमें 250 कलाकार एक साथ काम कर रहे थे. इस कला कुंभ वर्कशॉप के तहत NGMA ने KIIT और KISS के साथ मिलकर आजादी का अमृत महोत्सव और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीर जीवन और संघर्ष को दिखाने के लिए छह दिवसीय मेगा महाकुंभ वर्कशॉप आयोजित किया था. यह भारत में इस तरह का पहला कार्यक्रम था. इस वर्कशॉप के जरिए 750 मीटर की स्क्रोल पर प्रदर्शित करना है, जो 26 जनवरी 2022 गणतंत्र दिवस समारोह का एक अभिन्न अंग बनेगा. कला के इस महाकुंभ में ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल और आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के चित्रों को चित्रित किया गया है . इसके साथ ही कलाकारों ने सोहराय,पटचित्र, तलपात्र चित्र, मंजूसा और मधुबनी कला का चित्रण किया.वहीं अन्य स्क्रॉल में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के गुमनाम नायकों की वीरता और संघर्ष की कहानियों को दर्शाया गया है.
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बड़कागांव बादम के गुफा देखा जा सकता है
इस बार हजारीबाग क्षेत्र की प्रसिद्ध सोहराय कला को भी शामिल करने से इलाके के लिए यह गौरव की बात है. हजारीबाग की लोक कला सोहराय गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर दिखेगी. यह हजारीबाग समेत पूरे झारखंड के लिए बेहद गौरव का पल है.पहली बार गणतंत्र दिवस के अवसर हजारीबाग की लोक कला को प्रदर्शित किया जाएगा. सोहराय लोक कला के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास 5000 वर्ष पुराना है, जो हजारीबाग के बड़कागांव बादम के गुफा देखा जा सकता है.
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11 कलाकारों ने पेंटिंग तैयार की
हजारीबाग की 5000 वर्ष पुरानी लोक कला सोहराय के प्रदर्शनी के साथ-साथ वैसे स्वतंत्रा सेनानी जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी लेकिन उनका नाम इतिहास के पन्नों में दफन हो गया, उनका भी चित्र इस पेंटिंग में दिखेगा. हजारीबाग से लगभग 11 कलाकारों ने इस पेंटिंग को तैयार किया है.पेंटिंग जब दिल्ली में लगेगी तो 26 जनवरी को पूरे विश्व का ध्यान यह पेंटिंग अपनी ओर आकर्षित करेगी. जिससे सोहराय को एक नया आयाम भविष्य में मिलने का उम्मीद लगायी जा रही है. हजारीबाग से जिन कलाकारों ने यह कैनवास तैयार किया है वह भी काफी उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि यह हम कलाकारों के लिए गर्व की बात तो है ही, साथ ही साथ हजारीबाग के लिए भी यह पल बेहद सुंदर पल है जब हजारीबाग की कलाकृति राजपथ पर दिखेगी.इसका अवलोकन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं करेंगे. इसके साथ-साथ एक ओपन गैलरी की तरह सभी नागरिकों के सामने भी इसे रखा जाएगा. जिसका उद्देश्य भारत के वीर सपूतों के बारे में देश दुनिया को बताना है. इस पेंटिंग में जहां एक ओर गुमनाम नायक की तस्वीर रहेगी तो दूसरी ओर भारत में वैसी कलाकृति जिसका इतिहास है उसे भी प्रदर्शित किया जाएगा.