बरकट्ठा सूर्यकुंड के लिए 10 करोड़ रुपए खर्च करने का बन सकता है डीपीआर
विधायक की पहल पर डीडीसी ने किया निरीक्षण
Hazaribagh/Barkatta: एशिया के सबसे गर्म जल कुंड बरकट्ठा को विकसित करने के लिए तैयारी चल रही है. बरकट्ठा विधायक अमित यादव की पहल पर डीडीसी प्रेरणा दीक्षित ने सोमवार को गर्म जल कुंड का निरीक्षण किया. यह उम्मीद लगाई जा रही है कि 10 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्य यहां धरातल पर उतारे जाएंगे. बरकट्ठा स्थित सूर्यकुंड एक कैटेगरी टूरिस्ट प्लेस के रूप में सरकार के लिस्ट में अंकित है. यहां जिला स्तर से ही 10 करोड़ रुपए तक का डीपीआर बनाकर इसे विकसित किया जा सकता है. इसके लिए हजारीबाग उप विकास आयुक्त प्रेरणा दीक्षित ने स्थानीय विधायक अमित यादव की पहल पर सूर्यकुंड का भौतिक निरीक्षण किया. निरीक्षण करने के बाद उप विकास आयुक्त ने बताया कि बहुत जल्द ही सूर्य कुंड को विकसित किया जाएगा ताकि यह राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सके. इसकी पहचान दूर तक हो.
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सूर्यकुंड के आसपास पेयजल की कमी : अमित यादव
वहीं विधायक अमित यादव ने कहा कि सूर्यकुंड के आसपास पेयजल की कमी है. वहीं जो नए भवन बनाए गए हैं, वहां भी पेयजल नहीं पहुंच पा रहा है. ऐसे में अब जिला प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि पेयजल की समस्या दूर होगी. साथ ही शौचालय में भी पानी पहुंच पाएगा. उन्होंने कहा कि सूर्यकुंड के विकास के लिए जिला प्रशासन सजग है. आने वाले दिनों में और भी अधिक विकसित किया जाएगा ताकि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिल सके.
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महिलाओं को अपनी ताकत पहचानने की जरूरत : डॉ रंजना
विभावि में लैंगिक संवेदीकरण पर कार्यशाला
शोधार्थियों को दिखाई गई फिल्म दैट डे आफ्टर एवरी डे
Hazaribagh: विनोबा भावे विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से सोमवार को लैंगिक संवेदीकरण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ के रूप में रांची विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक डॉ रंजना श्रीवास्तव ने लैंगिक समानता के बारे में भूतकाल से अब तक के विभिन्न चरण बताए तथा उन्होंने कहा कि महिलाओं को सर्वप्रथम सहायता दी जाती थी. समानता के नाम पर और अब महिला सशक्तीकरण की बात हो रही है. महिलाओं को अपनी शक्ति समझने की आवश्यकता है. हर स्त्री के पास ताकत है, उसे बस अपनी ताकत पहचानने की आवश्यकता है. कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्र की समन्वयक डॉ ममता ने लैंगिक संवेदीकरण का अर्थ, महत्व, आवश्यकता और वास्तविक स्थिति को बताया. उन्होंने बताया कि कैसे किसी परिवार में स्त्री की आय प्राथमिक आय नहीं मानी जाती और कैसे दैनिक जीवन में स्त्रियों को विभिन्न लैंगिक असमानता जनित समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
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वास्तविक प्रगति तभी संभव जब महिलाओं को पुरूषों के समान मिले महत्व
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ इफ्शा खुर्शीद ने स्वागत भाषण के साथ किया. अपने संभाषण में उन्होंने कहा कि राष्ट्र की वास्तविक प्रगति तभी संभव है, जब महिलाओं तथा पुरुषों को समान रूप से महत्व दिया जाए. विषय प्रवेश करते हुए विभाग के शोधार्थी पुष्कर कुमार पुष्प ने कहा कि लैंगिक असमानता व्यवहार से पहले दिमाग में आता है. हमें हमारी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है तथा लैंगिक समानता में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका परिवार की है. कार्यशाला में लैंगिक संवेदशीलता पर एक फिल्म दैट डे आफ्टर एवरी डे दिखाई गई. फिर छात्रों से फिल्म और लैंगिक समानता पर चर्चा की गई. इस चर्चा में विभाग के छात्रों व शोधार्थियों में आरती, अदिति, अंजली, पुष्कर, पल्लवी, तरन्नुम सहित स्वयं विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद्र देवघरिया ने भी अपने विचार रखे.