5 दिनों तक 14 राज्यों के खिलाड़ी सह और मात देते दिखे
तमिलनाडु के प्रदीप कुमार हुए विजेता, तो दो दिव्यांग खिलाड़ी रहे आकर्षण का केंद्र बिंदु
Hazaribagh: हजारीबाग जिला शतरंज द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता का समापन हो गया. शतरंज प्रतियोगिता में कई खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया गया. उनमें से दो ऐसे खिलाड़ी हैं जो समाज को सीख देने का काम किया. पहला है प्रयागराज से पहुंचा नभनिल दास और दूसरा दिल्ली से आया सोनू बिस्टर. दोनों दिव्यांग हैं. दोनों के माता-पिता अपने बच्चों को इस तरह प्रशिक्षण दिलवा रहे हैं कि वह आज शतरंज के दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने को आतुर हैं. प्रयागराज से पहुंचा नभनील दास 12 पास हैं और बीए की पढ़ाई कर रहा है. स्पाइनल कॉर्ड में इंफेक्शन आने के कारण वह दिव्यांग हो गया था. उनके माता-पिता उसे भरपूर सहयोग कर रहे हैं.
दिव्यांग नभनील दास का संघर्ष जारी है…
पिछले कई सालों से उसे शतरंज खेलने की इच्छा थी. लेकिन घर वालों ने कहा पहले पढ़ाई कर लो इसके बाद शतरंज का बिसात बिछाना. 12वीं पास होने के बाद वह पिछले दो सालों से शतरंज खेल रहा है. इसमें अपना करियर बनाना चाहता है. उनकी मां संगीता दास ने कहा कि बेटे को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है कि आखिर कैसे वह अपना जीवन संवारेगा. लेकिन वह कहती है कि जीवन में संघर्ष कभी खत्म नहीं होता, संघर्ष से ही जिंदगी मिलती है. नभनील दास संघर्ष कर रहा है उसे कामयाबी भी मिलेगी. वह खुद को स्थापित भी कर लेगा.
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दिव्यांग सोनू के पास 12 से अधिक पदक
तो दूसरी ओर सोनू 35 वर्ष का है. आप पिछले 11 सालों से शतरंज के बीसात में बड़े-बड़े खिलाड़ियों को मात दे रहा है. वह जन्म से ही दिव्यांग है. उसके पिता सुरेंद्र सिंह दिल्ली से उसे लेकर हजारीबाग आए हैं.उनका कहना है कि दिव्यंगता कभी करियर में बाधक नहीं हो सकती. जरूरत है आत्मविश्वास बनाने की. सोनू के पास 12 से अधिक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पदक है. जिसने दक्षिण भारत में तीन बार, उदयपुर, जालंधर, मथुरा और दिल्ली में कई बार शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. उसकी चाहत है कि वह ग्रैंड मास्टर बने.उसके पिता भी बताते हैं कि चिंता हरदम बनी रहती है, लेकिन सोनू भले ही दिव्यांग है लेकिन वह एक दिन अपनी अलग पहचान पूरे देश भर में बनाएगा. इसका यह भी कहना है कि सोनू बीकॉम करने के बाद सीए की पढ़ाई किया. लेकिन दिव्यांग होने के कारण काम नहीं कर पाया. आज के समय में एक अच्छा इन्वेस्टर है.शेयर मार्केट की अच्छी पकड़ होने कारण वह शेयर बाजार में पैसा इनवेस्ट करवाता है. उसकी चाहत है कि शतरंज में ही अपना करियर बनाएं.
एसपी ने खिलाड़ियों का बढ़ाया हौसला
इन दोनों बच्चों को हजारीबाग पुलिस अधीक्षक मनोज रतन चौथे ने भी शुभकामना और शाबाशी देकर हौसला बढ़ाया. कहा कि यह बहुत ही गर्व की बात है दिव्यांग होने के बावजूद दोनों बच्चों में गजब का उत्साह है. शतरंज के खेल में दोनों बड़े-बड़े खिलाड़ियों को मात दे रहे हैं. जो यह बताता है कि दिव्यांग कभी भी बाधक नहीं हो सकता. तो दूसरी ओर आयोजक करण जायसवाल ने कहा कि हजारीबाग में राष्ट्रीय स्तर का शतरंज प्रतियोगिता आयोजित किया गया.इसमें दो दिव्यांग खिलाड़ियों ने पूरे देश भर को संदेश देने का काम किया है कि कभी भी हार मानने की जरूरत नहीं है कड़ी मेहनत से मुकाम भी पाया जा सकता है.
22 से 26 नवंबर तक शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन
हजारीबाग जिला शतरंज संघ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय शतरंज प्रतियोगिता का समापन हो गया. विनोवा भावे विश्वविद्यालय में 22 नवंबर से 26 नवंबर तक शतरंज के खिलाड़ी सह और मात देते रहे. प्रतियोगिता में 320 से अधिक खिलाड़ी भाग लिया. जिसमें देश के 14 राज्यों से खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु के प्रदीप कुमार विजेता रहे. उन्हें 75 हजार रुपया इनाम की राशि दी गई .साथ ही साथ सर्टिफिकेट और मेडल दिया गया. द्वितीय स्थान पर पश्चिम बंगाल के आराधना सेन रहे जिन्हें 50 हजार रुपया, तीसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल के ही अर्पणदास रही जिसे 30 हजार रुपया,चौथे स्थान पर बिहार के कुमार गौरव रहे जिन्हें 18 हजार और पांचवें स्थान पर तमिलनाडु के नागेश रहे जिन्हें 13 हजार रुपया नगद और मोमेंटो समेत सर्टिफिकेट दिया गया.
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अंडर 15 में बिहार के तेजस प्रथम, झारखंड के कृष्ण कुमार को दूसरा स्थान
अंडर 15 में बिहार के तेजस प्रथम स्थान लाए जिन्हें चार हजार, झारखंड के कृष्ण कुमार जिसे तीन हजार, पश्चिम बंगाल के रुद्राशण जिसे दो हजार रुपया इनाम की राशि मोमेंटो और सर्टिफिकेट दिया गया. अंडर 9 में पश्चिम बंगाल के मोहित शर्मा, देव बिहार के देवांश केसरी और झारखंड के किसी राज हुए जिन्हें क्रमशः चार हजार, तीन हजार,और दो हजार रुपया नगद पुरस्कार की राशि के समेत मोमेंटो और सर्टिफिकेट दिया गया. हजारीबाग अधीक्षक ने विजय प्रतिभागियों को पुरस्कार देकर उत्साहित किया उन्होंने कहा कि शतरंज के खेल में कोई हारता नहीं है. एक खिलाड़ी जितना है और दूसरा सीखना है. ऐसे में जिन्हें पुरस्कार नहीं मिला है. वह हद तो साहित्य नहीं हो आने वाले दिनों में फिर से प्रतियोगिता में हिस्सा लें. उन्होंने यह भी कहा कि हजारीबाग में जिस तरह से आयोजन किया गया है वह काबिलेतारीफ है जहां 300 से अधिक खिलाड़ी पूरे देश भर से पहुंचे. इस कारण इस प्रतियोगिता को सफल कहा जाएगा उन्होंने यह भी कहा कि ओपन कंपटीशन होने के कारण 7 साल की बच्ची से लेकर 70 साल के बुजुर्ग ने अपना हाथ आजमाया है यह बेहतरीन प्रतियोगिताओं में एक है तो दूसरी ओर आयोजन करण जायसवाल ने कहा कि काफी परिश्रम के साथ आयोजन किया गया और उसका यह परिणाम है कि बहुत ही सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न हुआ है. प्रतिभागियों को रहने से लेकर खाने तक का इंतजाम किया गया. बहुत ही अच्छे वातावरण में प्रतियोगिता संपन्न हुआ है .उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में 600 से अधिक खिलाड़ी पूरे देश भर के हिस्सा ने ऐसी तैयारी की जाएगी और फिर से राष्ट्रीय स्तर का प्रतियोगिता हजारीबाग में आयोजित होगी.
हजारीबाग के लोग बहुत अच्छे : प्रदीप कुमार
इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान लाने वाले चेन्नई से आए प्रदीप कुमार ने कहा कि हजारीबाग के लोग बहुत अच्छे हैं. जिस तरह से प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है काबिले तारीफ है.उन्होंने कहा कि बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुके हैं. लेकिन हजारीबाग में जिस तरह से इंतजाम किया गया था यह बेहतरीन था. उन्होंने यह भी कहा कि हजारीबाग का मौसम बहुत ही बढ़िया है. यहां खिलाड़ी भी काफी अच्छे हैं.