Hazaribagh : इचाक प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय में मंगलवार को बच्चों को मिड डे मील नहीं मिला. जबकि सरकार का साफ निर्देश है कि किसी भी सूरत में विद्यालय में बच्चों का भोजन बंद नहीं होना चाहिए. बता दें कि यह स्कूल पहले भी विवाद में रह चुका है. कुछ माह पहले प्रबंधन समिति के द्वारा स्कूल के भोजन पकाने की सामग्री और गैस सिलेंडर का आपस में बंटवारा कर लिया गया था. मामला जब मीडिया में आया तो शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए स्कूल सचिव का तबादला कर दिया था और प्रबंधन समिति को भंग कर दिया गया. बाद में तय हुआ कि सीआरपी और संजोजिका की देखरेख में भोजन पकाया जायेगा. एक सप्ताह के बाद जब मंगलवार को स्कूल खुला तो स्कूल में ना तो सीआरपी थे और ना ही सचिव. रसोईया को भी छुट्टी दे दी गई. लंच का समय हुआ तो बच्चे भोजन का इंतजार करते रहे. लेकिन बच्चों को खाना नहीं मिला.
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स्कूल के बच्चों को समोसे खिलाये गए थे : सचिव
इस संबंध में स्कूल सचिव निराला ने बताया कि स्कूल में आज बच्चे कम थे, इसलिए उन्हें भोजन नहीं दिया गया. उन्होंने सफाई देते हुए कहा बीआरसी कार्यालय स्कूल का ड्रेस लेने के लिए गए थे और शिक्षक को कह गए थे अगर बच्चों की संख्या बढ़ती है तो भोजन पकाना जरूरी है. अगर बच्चों की संख्या कम हुई तो उन्हें रेडीमेड भोजन कराना है. सरकार की दी गई राशि कम होने के कारण बच्चों की भोजन नहीं बनवा पाये. जब इस बात की सूचना मीडिया को हुई तो निराला ने दावा किया कि बच्चों को समोसा और कचरी खिलाया गया. इस संबंध में सीआरपी ओमप्रकाश ने बताया कि आज हम स्कूल नहीं गए थे और मुझे जानकारी इस बात की नहीं थी कि स्कूल में भोजन नहीं पकाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अब 4 बज चुके हैं. स्कूल में छुट्टी हो गई है तो खाना कहां से बनाना संभव है. जबकि सरकार का आदेश के है कि बच्चों की संख्या भले ही कम हो लेकिन भोजन मिलना जरूरी है.
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