Hazaribagh : राज्य सरकार ने सरहुल और रामनवमी जुलूस निकालने की अनुमति दे दी है. लेकिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन से अधिकारियों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. अधिकारियों के साथ- साथ अखाड़ाधारी और समिति के लोग भी परेशान है. इसे देखते हुए लोग न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे है.
धार्मिक जुलूस में 100 लोग शामिल हो सकते है
सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन को पूरी तरह से धरातल पर उतारना बड़ा मुश्किल होगा. जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि धार्मिक जुलूस में 100 लोग ही शामिल हो सकते है. जबकि हजारीबाग में रामनवमी जुलूस में हजारों लोग शामिल होते रहे है. अब अखाड़े में 100 लोगों को ही सम्मिलित करना प्रशासन के लिए भी चुनौती होगी. वहीं दूसरी तरफ अखाड़े वाले भी इस बात को लेकर परेशान है कि कैसे किसी भी व्यक्ति को वो जुलूस में शामिल होने से रोकेंगे.
हजारीबाग में 100 से अधिक अखाड़े है
जारी गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि बड़े धार्मिक जुलूस में 1000 से अधिक लोग शामिल हो सकते है. जबकि हजारीबाग में 100 से अधिक अखाड़े है. यदि हर अखाड़े में 100 लोग ही शामिल होते है तो 10 अखाड़े में ही 1000 लोग हो जायेंगे. ऐसे में बाकी 90 अखाड़ों के लोग कहां जाएंगे और यह 1000 लोगों की ही भीड़ है इसकी गणना कौन करेगा? इस तरह दोनों ही आदेश व्यवहारिकता में लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.
शाम 6 बजे तक ही जुलूस निकालने की मिली है अनुमति
गाइडलाइन के तीसरे बिंदु में कहा गया है कि संध्या 6:00 बजे के बाद धार्मिक जुलूस नहीं निकाला जाएगा. वहीं हजारीबाग के रामनवमी की बात की जाये तो रामनवमी के दिन इक्का-दुक्का ही जुलूस निकलता है. मुख्य जुलूस दशमी को निकलता है. इस तरह जिले में रामनवमी का पूरा आयोजन 3 दिनों का होता है. दशमी के दिन निकलने वाला जुलूस भी शाम 6:00 बजे के बाद ही निकलता है. जारी गाइडलाइन को देखते हुए हजारीबाग के रामनवमी आयोजन के इस पूरे स्वरूप को ही बदलना पड़ेगा. इसके लिए सभी को समझाना प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर है .
जूलूस में गाने और डीजे बजाने पर पाबंदी है
चौथे बिंदु में कहा गया है कि पूर्व से रिकॉर्ड किये गये गाने या डीजे बजाने पर पाबंदी है. अभी के समय में परंपरागत वाद्य बजाने वाले ना तो हजारीबाग में उतनी संख्या में है और ना ही यह संभव है कि हर अखाड़ा वाले ताशा बुक कर सकें. क्योंकि हजारीबाग में अधिकांश ताशा कोलकाता से मंगाये जाते रहे हैं. जिन की बुकिंग भी 1 महीने पहले से होती है. पूरे हजारीबाग जिले में 583 अखाड़े हैं अब इतनी संख्या में ताशा आसपास से बुक करना असंभव है. ऐसे में यह अखाड़े वाले रिकॉर्डिंग गाने नहीं बजाएंगे तो क्या करेंगे ?
गाइडलाइन लागू कराने में पदाधिकारियों के हाथ पांव फूले
ये वे चार मुख्य बिंदु है जिससे लागू करवाने में पदाधिकारियों के हाथ पांव फूले हुए हैं. पदाधिकारियों को दिक्कतो का सामना करना पड़ेगा. पहला यदि वह इस गाइडलाइन को लागू करवाने के लिए जोर लगाते है तो स्थिति बिगड़ने की संभावना है. वही अगर उन्होंने छूट दे दी और किसी तरह की गड़बड़ी हो गई, तो फिर सारी जिम्मेवारी अधिकारियों पर आ जाएगी. दोनों ही स्थिति में हजारीबाग में पदाधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.