शहर में दर्जनों जगह निगम ने बनाए हैं पार्किंग स्थल, सालाना 30 लाख की कमाई
कभी जांच नहीं करते नगर निगम के अधिकारी
जहां-तहां वाहन पार्किंग से पूरा शहर अस्त-व्यस्त
हर ठेले व रेड़ी वालों ने ऐंठते हैं 50 से 100 रुपये
Vishmay Alankar
Hazaribagh: शहर में वाहन पार्किंग के नाम पर मिले ठेके का दुरूपयोग किया जा रहा. दुपहिया वाहनों की पार्किंग के लिए नगर निगम द्वारा ठेकेदारों को दी गई जगहों पर पार्किंग ना हो कर ठेले व गुमटी लगवाए जा रहे हैं और इसके एवज में मोटी रकम वसूली जा रही है. ठेकेदारों की इस मनमानी का खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है. पहले से ही पार्किंग जोन में ठेले-गुमटी के लगे रहने के कारण वाहन सवार जहां-तहां अपने वाहन खड़े कर रहे हैं. इससे सड़क पर जाम लगने के साथ-साथ वाहन चोरी का खतरा भी बना रहता है.
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शहर में कई जगहों पर पड़ाव
शहर में दुपहिया वाहनों के पड़ाव में सदर थाने के सामने, गुरु गोविंद सिंह पार्क के सामने दोनों तरफ, बैंक ऑफ बड़ोदा के सामने, स्टेट बेंक के सामने,अन्नदा कॉलेज गेट से गिरधारी साव के घर तक, बैंक ऑफ इंडिया के सामने, गुरु गोविंद सिंह रोड स्थित उर्दू स्कूल के सामने, पोस्ट ऑफिस के सामने और त्रिमूर्ति के पास दो पहिया वाहन पड़ाव है. इन पार्किंग स्थलों की नीलामी में निगम को लगभग 30 लाख रुपये की सालाना कमाई होती है. लेकिन, यह भी गौर करने वाली बात है कि 30 लाख रुपये में निगम ने पूरे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेतरतीब कर दिया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि नीलामी के बाद नगर निगम की तरफ से कभी भी इसकी पड़ताल नहीं की जाती है कि ठेकेदार ने वाहन पड़ाव का सदुपयोग कर रहे हैं या दुरूपयोग. वहां वाहनों की पार्किंग हो रही है, या पार्किंग स्थल पर ठेले-गुमटी लगाए जा रहे हैं, इस ओर निगम का कोई ध्यान नहीं है.
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अवैध वसूली से परेशान हैं ठेले-रेड़ी वाले
वसूली वाले रवैये से तंग आकर झील परिसर के ठेले-रेड़ी वालों ने सांसद जयंत सिन्हा को आवेदन देकर ठेकेदारों के मनमाने रवैये से अवगत कराया है. आवेदन में कहा गया है कि हम लोग गरीब मजदूर वर्ग से आते हैं. झील परिसर में ठेला-रेड़ी लगाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. बहुत मेहनत के बाद 100 से 200 रुपये कमाई होती है. लेकिन, नगर निगम के नाम पर प्रति ठेला 50 से लेकर 100 रुपये तक जबरन वसूली की जा रही है. वसूली करने वालों में हैदर, शाहिद वगैरह अक्सर गाली-गलौज और मारपीट कर जबरन पैसा ले लेते हैं. ठेले-रेड़ी वालों ने उन ठेकेदारों से मुक्ति दिलाने की मांग की है.